सेना ने 10 दिन के भीतर रोका था पुलवामा जैसा अटैक, लेफ्टिनेंट जनरल KJS ढिल्लों की किताब में कई बड़े खुलासे

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 26, 2023, 10:36 AM IST

Pulwama attack

पूर्व चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों अपनी किताब में लिखते हैं कि बहुत से लोग ऐसे आत्मघाती हमलों के बारे में नहीं जानते हैं.

डीएनए हिंदी: लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस टाइनी ढिल्लों ने शनिवार को अपनी किताब 'कितने गाजी आए कितने गाजी गए' (Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye) का विमोचन किया. इस किताब में लेफ्टिनेंट ढिल्लों ने कई बड़े खुलासे किए. किताब में ढिल्लों ने बताया है कि 14 फरवरी 2019 के पुलवामा अटैक के 10 दिनों के अंदर एक और बड़ा अटैक होने वाला था लेकिन भारतीय सुरक्षा की सतर्कता की वजह से यह टल गया था. सेना ने दो पाकिस्तानी समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया था.

पूर्व चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों अपनी किताब में लिखते हैं कि बहुत से लोग ऐसे आत्मघाती हमलों के बारे में नहीं जानते हैं, जिनकी योजना फरवरी 2019 में बनाई गई थी. आत्मघाती हमलावर ने धमाके को अंजाम देने के लिए एक वीडियो शोकेसिंग, विस्फोटक और अन्य हथियार बनाए थे. बता दें कि आतंकवादियों ने 14 फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिल से आरडीएक्स से भरा वाहन टकरा दिया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.

राजस्थान पुलिस अकादमी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल ए एस भिंडर और पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने पुस्तक का विमोचन किया. मिश्रा ने जनरल टाइनी के लेखन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी पुस्तक में देश के प्रति प्रेम व विभिन्न सुरक्षा बलों के मध्य आपसी समन्वय की महत्ता प्रतिपादित की गई है. उन्होंने कहा कि पुस्तक में पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों को भी रेखांकित किया गया है.

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अस्मिता को संजोए रखने के लिए विभिन्न सुरक्षा बलों के मध्य सामंजस्य व एक दूसरे के प्रति समझ आवश्यक है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक युवाओं को सैन्य बलों व राष्ट्रीयता के प्रति प्रेरित करेगी. लेफ्टिनेंट जनरल भिंडर ने ढिल्लों के साथ अपने अनुभव साझा किए व उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला.

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युवाओं के लिए किताब प्रेरणादायक
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने बताया कि अपने एनडीए से सैन्य जीवन एवं विशेष रूप से कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध की गई कार्यवाहियों के परिप्रेक्ष्य में पुस्तक "कितने गाजी आए कितने गाजी गए" लिखी गई है. उन्होंने कहा कि पुस्तक लेखन का प्रारंभिक मुख्य उद्देश्य युवाओं को सैन्य जीवन के बारे में परिचय देना है. (PTI इनपुट के साथ)

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