शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal Bail) को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के फैसले पर रद्द कर दिया है. जस्टिस सुधीर कुमार जैन की पीठ ने कहा कि राउज एवन्यू कोर्ट ईडी द्वारा उसके समक्ष पेश गए दस्तावेजों का उचित आकलन करने में विफल रही और उसने केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला करते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया.
जस्टिस सुधीर जैन ने यह भी कहा कि निचली अदालत को ईडी को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था. पीठ ने कहा, ‘विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाती है.’
दिल्ली के राउज एवन्यू कोर्ट ने 20 जून को सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी और एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था. ईडी ने अगले दिन हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि निचली अदालत का आदेश 'त्रुटिपूर्ण, एकतरफा और गलत' था और कंक्लुजन Irrelevant फैक्ट्स पर आधारित थे.
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ईडी की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जांच महत्वपूर्ण पड़ाव पर है. अगर केजरीवाल को जमानत दी गई तो वह जांच पर असर डाल सकते हैं, क्योंकि वह मुख्यमंत्री के अहम पद पर कार्यरत हैं.
सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे दलीलें
वहीं, अरविंद केजरीवाल के वकील ने भी हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया. उन्होंने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास एक भी सबूत नहीं है. जमानत का लालच देकर गवाहों को केजरीवाल के खिलाफ साजिश के तहत बयान दिलवाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जब एक बार ग्रांट कर दी जाती है तो इसमें स्टे नहीं होता है. हम हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और अपनी दलीलें रखेंगे.
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