डीएनए हिंदी: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन महसूस हो रही है. राजधानी में बीते 24 घंटे में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 490 तक पहुंच गया है. इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दोपहर 12 बजे एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और अन्य विभागों से संबंधित अधिकारी शामिल होंगे. वहीं बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि दिल्ली में एक बार फिर ऑड-ईवन नियम (Odd-Even Rule) लागू किया जा सकता है.
दिल्ली सरकार ने AQI के 'अति गंभीर' श्रेणी में पहुंचने के बाद रविवार को ग्रैप के चौथे फेज को तत्काल प्रभाव लागू कर दिया. इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रक और 4 पहिया कमर्शियल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है. सोमवार सुबह आरके पुरम में एक्यूआई 466, आईटीओ में 402, पटपड़गंज में 471 और न्यू मोती बाग में 488 रहा है.
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केजरीवाल ने बुलाई बैठक
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण और GRAP-4 को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय में दोपहर 12 बजे बैठक बुलाई है. इस बैठक में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, ट्रांसपोर्ट, एजेकेशन, MCD, NDMC, एनडीएमसी, डीसीबी, राजस्व, दिल्ली पुलिस और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी शामिल होंगे. एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में अगले दिनों में हवा और जहरीली होने की संभावना है.
जानकारी के मुताबिक, GRAP-4 के तहत राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और BS-6 मानक का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी. वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिलेगी. राजधानी में डीजल बीएस-4 बस, कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर पांबदी लगा दी गई है. साथ ही कंस्ट्रक्शन को भी रोक दिया गया है.
मौसम में बदलाव की आशंका
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, आगामी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदूषकों को तितर बितर करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मंगलवार रात से बनने की संभावना है. इसके कारण उत्तर पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश हो सकती है. श्वसन प्रणाली में गहरे तक जाने में सक्षम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण पीएम 2.5 की सांद्रता पूरे दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तय सीमा से 7 से 8 गुना अधिक है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक था.
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चिकित्सकों के अनुसार, जहरीली धुंध मौजूदा श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है. वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियां हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण उस समय चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है.
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