दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई हुई. दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी को दिल्ली सीएम ने चुनौती दी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कहा जा रहा है कि फैसला अगले हफ्ते तक आ सकता है.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया की जमानत रद्द होने के बाद 1100 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है. इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि अपराध की आय यानी रिश्वत 100 करोड़ थी.. यह 2-3 सालों में यह 1100 करोड़ कैसे हो गई. ASG राजू ने कहा,'' इसमें पॉलिसी के चलते शराब कंपनियों को हुआ मुनाफा भी शामिल है.'' जिस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि मुनाफे की सारी रकम को अपराध से अर्जित आय नहीं माना जा सकता.
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आदतन अपराधी नहीं हैं केजरीवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं. ये अपने आप में असाधारण केस है. वो दिल्ली के CM है. हम इस विचार करेगे कि क्या अंतरिम जमानत दी जा सकती है. आप इस पर अपनी दलीलें रखें.' जिस पर SG तुषार मेहता की ओर कहा गया कि अगर ऐसा होता है तो इसका गलत संदेश जाएगा कि किसी आरोपी को प्रचार के लिए जमानत मिल रही है.
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मनु सिंघवी ने रखी ये दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी दलीलें रखीं. उन्होंने कहा, 'ओडिशा के शिव शंकर दास का मामला देखिए. जमानत इस शर्त पर दी गई थी कि वे प्रचार नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने वह शर्त खारिज कर दी. फिर चंद्रबाबू नायडू आए जिनका मामला कुछ ही महीने पुराना है. उसमें कहा गया कि प्रेस इंटरव्यू दिए जा सकते हैं. इस मामले में केजरीवाल को जेल में रखने के बजाय वे दिल्ली को उनकी जेल बनाना चाहते हैं.'
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