डीएनए हिंदी: राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस के भीतर एकबार फिर से बवाल मच गया है. अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की सूरत में राज्य की कमान किस व्यक्ति के हाथ में जाएगी इसपर पार्टी एकमत नजर नहीं आ रही है. राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के रूप में जहां गांधी परिवार और कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व सचिन पायलट को देखना चाहता है तो वहीं अशोक गहलोत का खेमा भी यह तय करने में जुटा है कि उनके गुट का व्यक्ति ही राजस्थान की बागडोर संभाले. रविवार शाम राजस्थान कांग्रेस की सियासत में जबरदस्त सियासी घटनाक्रम देखने को मिला जब गहलोत गुट के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपने इस्तीफे सौंप दिए जिसके बाद से यह माना जाने लगा है कि सचिन को अभी राजस्थान का पायलट बनने के लिए इंतजार करना होगा. आइए आपको बताते हैं अशोक गहलोत गुट की सोनिया गांधी और कांग्रेस आलाकमान के सामने रखी गई तीन महत्वपूर्ण शर्तें.
- अशोक गहलोत गुट के विधायक चाहते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने तक राज्य में अगले मुख्यमंत्री पर कोई बात न हो. मतलब साफ है कि पार्टी की कमान अशोक गहलोत के हाथों में आने के बाद ही राज्य का अगला सीएम तय हो.
- अशोक गहलोत गुट के विधायक यह भी चाहते हैं कि पार्टी ऐसे नेताओं और विधायकों का खास ख्याल रखे जो कांग्रेस अध्यक्ष और आलाकमान के प्रति निष्ठावान रहे हैं. मतलब साफ है कि अशोक गहलोत गुट चाहते है कि सचिन पायलट या उनके समर्थकों सरकार से दूर रखा जाए. दरअसल गहलोत गुट के विधायक चाहते हैं कि गहलोत का उत्तराधिकारी ऐसा होना चाहिए जिसने 2020 के सियासी संकट में गहलोत सरकार के साथ खड़े रहे.
- मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत के नाम का विकल्प दिया जाए.
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गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने परोक्ष रूप से पायलट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था.
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रविवार को राजस्थान में क्या हुआ?
रविवार देर रात तक चले सियासी घटनाक्रम में अशोक गहलोत गुट पूरी तरह से केंद्रीय नेतृत्व पर हावी नजर आया है. गहलोत के वफादार माने वाले वाले कांग्रेस विधआयकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे सौंप दिए. राज्य के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने बताया कि लगभग 100 विधायकों ने इस्तीफा दिया है.
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नहीं हुई विधायक दल की बैठक
दरअसल रविवार शाम शाम सात बजे मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक होनी थी लेकिन इससे पहले ही मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर गहलोत के वफादार विधायक एकत्र हो गए. इस वजह से विधायक दल की प्रस्तावित बैठक नहीं हो पाई. आपको बता दें कि राजस्थान कांग्रेस के 108 विधायक हैं. गहलोत सरकार को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन हासिल है.
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