Assam Floods: किताबें गायब, स्कूल क्षतिग्रस्त, लाखों छात्रों के लिए असम में मुश्किल हुई पढ़ाई की डगर!

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 31, 2022, 09:50 PM IST

बाढ़ और बारिश से हर साल बेहाल होता है असम. (फोटो-PTI)

Assam Floods: असम में धीरे-धीरे बाढ़ का पानी कम हो रहा है. बाढ़ की वजह से 90 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. असम में बाढ़ की वजह से स्थितियां भयावह हो गई हैं.

डीएनए हिंदी: असम में बाढ़ (Assam Floods) का पानी घटना शुरू हो गया है और प्रभावित लोगों का जीवन पटरी पर लौट रहा है. बाढ़ की वजह से 20 लाख बच्चों के लिए हालात अब भी चुनौतीपूर्ण हैं. बाढ़ की वजह से कई स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए हैं वहीं किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री भी नष्ट हो गई हैं. असम में मानव तस्करी का भी खतरा मंडरा रहा है और इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा के दौरान परिवार के सदस्यों की मौत का सदमा भी खत्म नहीं हुआ है. 

असम में आई भीषण बाढ़ की वजह से करीब 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और यह पूर्वोत्तर राज्य में अब तक की सबसे खराब बाढ़ है, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. इनमें से 70 बच्चे थे. होजई जिले में पश्चिम हातीमोरा गांव की 12 वर्षीय मोइना बिस्वास को हर साल राहत शिविरों में रहना पड़ता है लेकिन यह साल उनके लिए बहुत दुखद रहा क्योंकि उसकी तीन साल की बहन इस बाढ़ में बह गई. 

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अपनों की मौत, किताबे गायब, असम पर टूटा बाढ़ का कहर

पांचवीं कक्षा की छात्रा ने कहा, 'हम हर साल बाढ़ में घर का सामान खो देते हैं लेकिन मैं अपनी बहन की मौत से उबर नहीं पा रही हूं. हम पूरी तरह टूट गए हैं और मैं पढ़ाई भी नहीं कर सकती क्योंकि मैंने बाढ़ में अपनी सभी किताबें गंवा दी हैं.'

विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नवजात से लेकर किशोरों तक सभी उम्र के बच्चे सबसे अधिक खतरे में होते हैं. इस दौरान बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा चिंता के प्रमुख क्षेत्र हैं. 

बाढ़ ने बढ़ा दी बेरोजगारी, बेहाल हुए लोग

बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित बरपेटा जिले में रुपईकुची गांव के 14 वर्षीय समसुर रहमान ने कहा कि उसने अपने माता-पिता के साथ एक राहत शिविर में शरण ली थी. हालांकि, वे घर लौट गए हैं लेकिन उसने स्कूल जाना शुरू नहीं किया है क्योंकि उसकी ज्यादातर किताबें खो गई हैं और पिछले दो महीने से बेरोजगार उसके माता-पिता उसकी जरूरतें पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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समसुर रहमान ने कहा, 'राज्य सरकार ने हमें किताबें खरीदने के लिए पैसे दिए हैं लेकिन उन नोट्स का क्या होगा जो मैंने बाढ़ जाने से पहले बनाए थे? बाढ़ में न केवल हमारा सामान बह गया बल्कि समय भी व्यर्थ हो गया.'

क्या कर रही है राज्य सरकार?

राज्य सरकार ने राहत शिविरों में शरण लेने वाले 1,01,537 छात्रों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये जमा कराए हैं जबकि शिक्षा विभाग प्रभावित छात्रों को 15 अगस्त तक अतिरिक्त निशुल्क पाठ्य पुस्तकें देने की योजना बना रहा है. 

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महिलाओं के लिए और मुश्किल हुई है राह

सामाजिक कार्यकर्ता अर्चा बोरठाकुर ने से कहा कि आपदाओं के दौरान निजी स्वच्छता बनाए रखना चिंता का विषय है, खासतौर से किशोरियों की महावारी के दौरान. इस दौरान साफ-सफाई बनाए रखना बेहद मुश्किल है. न तो लोगों तक सही वक्त पर सैनिटरी नैपकीन पहुंच पा रही है, न ही उनका डिस्चार्ज सही वक्त पर हो रहा है. यह एक बड़ी चुनौती है.



बच्चों-महिलाओं का रखा जा रहा है खास ध्यान

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक वहीं, असम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बाढ़ के बाद की परिस्थिति में जल जनित बीमारियों को रोकने के लिए कई एहतियातन कदम उठाए हैं. एनएचएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं, कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है और गर्भवती महिलाओं, नवजातों और बच्चों की विशेष देखभाल की जा रही है.

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