असम सरकार ने निरस्त किया Muslim marriage और Divorce law, क्या जल्द लागू होगा UCC

Written By कविता मिश्रा | Updated: Feb 24, 2024, 10:15 AM IST

Chief Minister Himanta Biswa Sarma

 

Muslim Marriage Act: असम सरकार ने मुसलमानों के विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को रद्द कर दिया है. यह फैसला मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया.

असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1930 को शुक्रवार को निरस्त कर दिया. उत्तराखंड में यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद अब असम की हिमंत सरकार ने भी कदम बढ़ा दिए हैं.  यह निर्णय शुक्रवार रात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया. कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है. 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम एक्स पर कहा कि 23.22024 को असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून द्वारा आवश्यक है. यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है. 


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सरकार के फैसले पर क्या बोले जयंत मल्ल बरुआ

कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने पहले ही घोषणा की थी कि असम एक समान नागिक संहिता लागू करेगा. आज हमने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसके साथ उन्होंने कहा कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 के आधार पर 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार अब भी राज्य में मुस्लिम विवाहों का पंजीकरण और तलाक कर रहे थे. इसे निरस्त कर दिया गया है. आज की कैबिनेट (बैठक) ने इस एक्ट को हटा दिया है. जिसके बाद आज के बाद इस एक्ट के जरिए मुस्लिम विवाह पंजीकरण या तलाक का पंजीकरण नहीं हो सकेगा. हमारे पास एक विशेष विवाह अधिनियम है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत हों. 

क्या है UCC

समान नागरिक संहिता यानी UCC का मतलब है कि पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है. फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्‍य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी यानी हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने समान नागरिक संहिता से संबंधित बिल 06 फरवरी को पेश किया और अगले दिन ही ये पास होकर अब कानून बन चुका है. 

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