Assam NRC: परिवार भारतीय लेकिन महिला विदेशी, सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी को बताया अन्याय

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 25, 2022, 06:41 AM IST

Assam NRC का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है जहां ढुलमुल तरीके से किए गए कामों के चलते आम आदमी को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

डीएनए हिंदी: असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (Assam NRC) को लेकर कई विवाद हैं क्योंकि दावे किए जाते हैं कि यहां 19 लाख लोगों के नाम छूट गए हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक ऐसा मामला सामने आया जहां पूरे परिवार को NRC के जरिए भारतीय घोषित किया गया है लेकिन परिवार की एक महिला को विदेशी नागरिक बता दिया है जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने अब असम सरकार (Assam Government) को तलब किया है.

दरअसल, परिवार के नागरिकता पाने और महिला के विदेशी घोषित होने वाले इस मामले की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों को तलब कर यह आदेश दिया है कि महिला के निर्वासन की प्रकिया न शुरू की जाए. इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के जून 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई पर सहमति जताई है. 

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हाईकोर्ट ने खारिज कर दी याचिका

जानकारी के मुताबिक असम के ही बोंगाई गांव स्थित विदेशी न्यायाधिकरण ने जून 2017 में एक आदेश जारी कर महिला को विदेशी घोषित कर दिया था जिसके खिलाफ महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. इस दौरान उसे वहां से राहत नहीं मिली थी तथा उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी. महिला पर आरोप है कि वह 25 मार्च 1971 के बाद अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में प्रवेश हुई थी.

इस मामले में अब जब याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंची है तो शीर्ष अदालत ने एक आदेश पारित किया है. इसमें कहा गया कि मामले के सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के निर्वासन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. वहीं याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह जन्म से भारत की नागरिक है. 

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महिला ने किया भारतीय होने का दावा

महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के माता, पिता, भाई बहन और पति सभी भारत के नागरिक हैं. याचिका में कहा गया है, हालांकि न्यायाधिकरण के साथ-साथ गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी विभिन्न प्रदर्शित दस्तावेजों पर विचार किए बिना याचिकाकर्ता को विदेशी घोषित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर अन्याय हुआ है.

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