डीएनए हिंदी: मणिपुर में लगभग ढाई महीने से हिंसा जारी है. मैतेई और कुकी समुदाय के लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए आमने सामने हैं. अब इसी मामले में असम राइफल्स ने एक सिविल सोसाइटी ग्रुप मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति (COCOMI) के खिलाफ राजद्रोह और मानहानि का केस दर्ज किया है. आरोप है कि COCOMI ने लोगों से अपील की थी कि वे हथियार न डालें. इसी के चलते इस संगठन के खिलाफ 10 जुलाई को एफआईआर दर्ज की गई.
एक पुलिस अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने चुड़ाचांदपुर थाने में सीओसीओएमआई के समन्वयक जितेंद्र निंगोम्बा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए और धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देने से जुड़ी धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.' आरोप है कि 30 जून को बिष्णुपुर के मोइरांग में सेना ने कई महिला प्रदर्शनकारियों से मारपीट की. बहरहाल, सेना ने यह आरोप खारिज किया है.
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इसी ग्रुप ने की थी असम राइफल्स को हटाने की मांग
COCOMI ने 4 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे एक ज्ञापन में मांग की थी कि मणिपुर में असम राइफल्स को हटाकर किसी अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया जाए. उन्होंने कहा था कि स्थानीय युवा हथियार डालना नहीं चाहते हैं. राज्य में 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के बाद पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार और बड़े पैमाने पर गोला-बारूद की लूट होने की खबरें हैं.
गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बावजूद तकरीबन 1,600 हथियार ही वापस मिले हैं. इस बीच, मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों ने 19 जुलाई को सामने आए एक वीडियो के मद्देनजर मणिपुर में कोई दंगा-फसाद होने से रोकने के लिए पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी है. इस वीडियो में कुछ लोग दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाते और उनका यौन उत्पीड़न करते दिखाई दे रहे हैं.
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पुलिस कांगपोकपी जिले में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर उन्हें सड़कों पर घुमाने से जुड़े मामले के बाकी दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए कई स्थानों पर दबिश दे रही है. अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर पुलिस ने चार मई की इस घटना के संबंध में अभी तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि मई में हुई हिंसा के बाद सरकार ने लोगों से अपील की थी कि वे सभी हथियार सरेंडर कर दें.
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