डीएनए हिंदी: कुछ लोगों का सामान खोने या भूलने के बाद कभी नहीं मिलता है. बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जिनका सामान यात्रा के दौरान कहीं छूट जाता है. काफी परेशान होने के बाद भी उनका सामान उन्हें वापस नहीं मिलता है लेकिन गुड़गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसे जानकार आप कहेंगे कि अभी भी इस दुनिया में अच्छे लोग हैं. गुड़गांव में एक व्यक्ति अपना लैपटॉप ऑटो में भूल गया था. जब ऑटो चालक ने लैपटॉप देखा तो वह ग्राहक को ढूढंते हुए वहां पंहुचा, जहां उसे छोड़कर गया था. आइए आपको बताते हैं कि ग्राहक वह ऑटो ड्राइवर से कैसे संपर्क कर पाया.
उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले देवेश प्रताप हरियाणा के गुरुग्राम में ऑटोरिक्शा चलाते हैं. उनके ऑटो पर एक व्यक्ति ने सवारी की, जो एक मीडिया हाउस में काम करते हैं. वह मिलेनियम सिटी गुरुग्राम मेट्रो स्टेशन के पास ऑटोरिक्शा से उतरते समय अपने ऑफिस का लैपटॉप ऑटो में ही भूल गया. जिसके बाद ऑटो ड्राइवर आगे बढ़ गया. कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि ऑटो में ग्राहक का लैपटॉप छूट गया है. जिस जगह उसने ग्राहक को उतारा था, वहां पहुंचा लेकिन उसे ग्राहक नहीं मिला.
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ग्राहक को ढूढ़ने के लिए लगाए कई चक्कर
ऑटो ड्राइवर ने ग्राहक को ढूढ़ने के लिए मिलेनियम सिटी गुरुग्राम मेट्रो स्टेशन के पास कई चक्कर लगाए लेकिन उसे कुछ भी जानकारी नहीं मिल पा रही थी. देवेश प्रताप ने बताया कि सवारी लेने के बजाय ग्राहक की तलाश करने में उसकी लगभग एक दिन की कमाई खर्च हो गई. जब देवेश को ग्राहक का पता नहीं चला तो वह अपने काम पर लग गया. अगली सुबह ऑटो ड्राइवर का फ़ोन आया और उसने लैपटॉप के बारे में पूछा. जिसके बाद देवेश ग्राहक का लैपटॉप लौटाने के लिए उसके द्वारा बताए गए पते पर पहुंच गया. ग्राहक अपना लैपटॉप पाकर खुश हो गया.
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ग्राहक ने ऑटो ड्राइवर से कैसे किया संपर्क
ग्राहक ने ऑटो से उतरते समय ऑनलाइन पेमेंट की थी लेकिन उसने क्यूआर कोड स्कैनर के जरिए पैसे भेजे थे. ऐसे में उसके पास ऑटो ड्राइवर का नंबर नहीं आया था. इसके लिए ग्राहक ने पेटीएम कंपनी से संपर्क किया और वहां से ऑटो ड्राइवर का नंबर निकाला. आपको बता दें कि यूपी के रहने वाले देवेश दो साल से गुरुग्राम में ऑटोरिक्शा चला रहे हैं. इससे पहले वह नोएडा में नगर पालिका परियोजनाओं पर काम कर रहे थे. उन्होंने अपनी कमाई को लेकर बताया कि प्रतिदिन वह करीब 500 से 1000 रुपए तक कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि पहले वह अपने परिवार के साथ यहां रहते थे लेकिन महंगाई होने की वजह से यहां सबका ध्यान रख पाना मुश्किल हो रहा था, जिसके बाद उन्होंने अपना कनौज भेज दिया.
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