डीएनए हिंदी: साल 2021 से जर्मनी के फोस्टर केयर में भारतीय मूल की बच्ची अरिहा रह रही है. बच्ची के माता-पिता धरा और भावेश गुजरात के रहने वाले हैं और अपनी बेटी को फिर से पाने के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं. देश के 59 सांसदों और कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने अरिहा को भारतीय माता-पिता को सौंपने के लिए गुहार लगाई है. अब बच्ची की मां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राखी भेजी है और चिट्ठी लिखकर अपनी बेटी के लिए मार्मिक अपील की है. जर्मनी के बाल विभाग के काउंसलर ने चोट के निशान देखने के बाद पैरेंट्स से कस्टडी ले ली और उसे फोस्टर होम भेज दिया है. परिवार का कहना है कि यह चोट बच्ची को नहाते वक्त आक्स्मिक तरीके से लग गई थी.
गुजराती में लिखी चिट्ठी, मां ने भेजी राखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजराती में लिखी चिट्ठी में माता-पिता ने अपनी बेटी को भारत वापस लाने के लिए पीएम से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. पत्र में यह भी लिखा है कि पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से वह अपनी बेटी को देखने औऱ उसे गले लगाने के लिए बेकरार हैं. बता दें कि परिवार से बच्ची की कस्टडी लेते हुए अस्पताल प्रशासन और काउंसलर का कहना था कि चोट के निशान लाल और गहरे हैं और यह नहाने के दौरान लगी चोट या खेलते हुए चोट लगने की घटना नहीं है. बच्ची के साथ यौन शोषण या शारीरिक उत्पीड़न के संकेत हैं. उस वक्त अरिहा की उम्र एक साल से भी कम थी.
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विदेश मंत्रालय जर्मन सरकार के संपर्क में है
बता दें कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए विदेश मंत्रालय ने जर्मन अधिकारियों से वार्ता की है और अरिहा को भारत वापस भेजने के लिए वार्ता की है. जर्मनी के अधिकारियों का आरोप था कि अहिरा के माता-पिता धरा और भावेश शाह ने उसे प्रताड़ित किया है. भारत सरकार का तर्क है कि भारतीय माता-पिता की संतान होने की वजह से उसके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य अलग हैं. ऐसे में उसे अपने परिवार से अलग रखना मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक दृष्टि से ठीक नहीं है.
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19 दलों के 59 सांसदों ने जर्मनी के राजदूत से की है अपील
अरिहा के मामले में कांग्रेस, बीजेपी, टीएमसी समेत 19 दलों के 59 सांसदों ने कुछ समय पहले पत्र लिखकर अरिहा को भारत वापस भेजने की मांग की थी. पत्र में लिखा था कि हम किसी पर दोषारोपण नहीं कर रहे हैं लेकिन यही कहना चाहते हैं कि अरिहा के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए उसका भारत लौटना जरूरी है. जर्मनी में बच्ची को मांसाहारी भोजन भी दिया जा रहा है जबकि उसके परिवार का खान-पान इससे एकदम उलट है. सांसदों ने अपने पत्र में लिखा कि हम समझते है कि जर्मनी के अस्पताल और अधिकारियों की मंशा अरिहा का कल्याण है लेकिन वह भारत में अपने परिवार के साथ रहकर ही हो सकता है.
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