मध्य प्रदेश में हाथियों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक और हाथी की मौत हो गई है. जिसके बाद हाथियों के मौत का आंकड़ा 7 हो गया है. जबकि तीन की हालत गंभीर है. सरकार ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है. वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बीमार हाथियों का इलाज किया जा रहा है.
अधिकारी ने बताया कि वन मंत्री रामनिवास रावत के निर्देश पर अधिकारियों ने हाथियों की मौत की जांच के लिए समिति का गठन किया है. टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि हाथियों की मौत कोदो बाजरा खाने से हुई है, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल पाएगा.
उन्होंने पहले बताया था कि मंगलवार को नियमित गश्त के दौरान टाइगर रिजर्व में 4 जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि 13 हाथियों के झुंड के चार अन्य हाथी बीमार पाए गए. वर्मा ने बुधवार को बताया कि बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य (बीटीआर) में अब तक सात हाथियों की मौत हो चुकी है. उन्होंने बताया कि ये हाथी 13 हाथियों के झुंड का हिस्सा थे. इसमें से तीन अन्य हाथियों की हालत गंभीर बनी हुई है और उनका इलाज किया जा रहा है.
BTR की टीमें झुंड में शामिल बाकी हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं. अभयारण्य के खितोली रेंज के अंतर्गत सलखनिया और बकेली क्षेत्र में वन रक्षकों द्वारा नियमित गश्त के दौरान 4 हाथी मृत पाए गए.
नाग-नागिन को बताया जा रहा जिम्मेदार
कुछ लोग इतनी बड़ी तादाद में हाथियों की मौत के लिए नाग-नागिन जिम्मेदार मान रहे हैं. उनका कहना है कि जिस खेत में नाग-नागिन का जोड़ा संबंध बनाना है तो उसकी फसल जहरीली हो जाती है. शायद हाथियों ने उस खेत की फसल को खा लिया, इस वजह से उनकी मौत हो गई. हाथियों की जान जाने के पीछे क्या कारण है इसका पता तो पोस्टमार्मट रिपोर्ट के आने के बाद ही पता चलेगी. लेकिन फिलहाल इस मामले में सिसायत तेज है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से यह खबर आना कि 7 हाथियों की मौत हो गई है और दो या तीन की हालत गंभीर है, बिल्कुल चौंकाने वाली है. उन्होंने कहा कि इससे अभयारण्य में हाथियों की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा एक बार में खत्म हो जाएगा. तत्काल पूरी जांच होनी चाहिए और दोषियो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
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