बांग्लादेश में पॉवर में आए कट्टरपंथी गुट लगातार भारत विरोध के एजेंडे को भड़काते जा रहे हैं. अब भारत विरोधी गुटों ने बांग्लादेश के राष्ट्रगान पर ही सवाल उठा दिए हैं. उन्होंने इसे 'भारतीय' बताते हुए बदलने की मांग सरकार से की है. हालांकि इस मांग को मुहम्मद यूुनुस की अंतरिम गठबंधन सरकार ने टका सा जवाब दे दिया है. सरकार के धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने स्पष्ट कहा कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान में बदलाव की कोई योजना नहीं है.
बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है?
यह विवाद बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाह अमान आजमी के आह्वान से शुरू हुई थी. आजमी ने इस सप्ताह की शुरुआत में देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव का आह्वान किया था. उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रगान का मामला इस सरकार पर छोड़ता हूं. हमारा वर्तमान राष्ट्रगान हमारे स्वतंत्र बांग्लादेश के अस्तित्व के विपरीत है. यह बंगाल विभाजन और दो बंगालों के विलय के समय को दर्शाता है. दो बंगालो को एकजुट करने के लिए बनाया गया राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है? यह राष्ट्रगान 1971 में भारत द्वारा हम पर थोपा गया था. कई गीत राष्ट्रगान के रूप में काम कर सकते हैं. सरकार को एक नया राष्ट्रगान चुनने के लिए नया आयोग बनाना चाहिए.'
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भारत में क्रिकेट टीम पर हमला
हालांकि आजमी के इस आह्वान का जवाब देते हुए सरकार के धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने शनिवार को मीडिया से कहा, 'अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने के लिए कुछ भी नहीं करेगी.' राजशाही का दौरान करने के बाद मीडिया से बात कर रहे हुसैन ने कहा कि पड़ोसी देश होने के नाते बांग्लादेश भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है. ढाका ट्रिब्यून ने सलाहकार के हवाले से कहा, 'हमने भारत में अपनी क्रिकेट टीम पर हमलों की खबरें सुनी हैं. चूंकि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड प्रभारी है, इसलिए वे आवश्यक कार्रवाई के बारे में निर्णय लेंगे.'
कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा
मस्जिदों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमलों को "जघन्य" बताते हुए हुसैन ने कहा, 'पूजा स्थलों पर हमला करने वाले मानवता के दुश्मन हैं. वे अपराधी हैं और उन पर मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.' हुसैन ने आगे कहा कि स्थानीय नागरिक और मदरसा छात्र दुर्गा पूजा के दौरान मंदिरों की सुरक्षा करेंगे ताकि किसी भी हमले या तोड़फोड़ को रोका जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि मदरसा छात्र कभी भी आतंकवाद में शामिल नहीं थे. यह पिछली सरकार द्वारा किया गया दुष्प्रचार और साजिश थी. सरकार बदलने के बाद, हिंदू समुदाय के कुछ सदस्यों के घरों पर हमले हुए हैं, जैसे कि मुस्लिम घरों पर हमला किया गया था और इसे अलग तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए.'
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