Bharat Band : OBC में क्रीमी लेयर का विरोध नहीं फिर SC-ST में क्यों, मोदी सरकार ने दलितों के लिए उठाए ये 6 बड़े कदम

मीना प्रजापति | Updated:Aug 21, 2024, 09:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एससी-एसटी में क्रीमी लेयर लाए जाने के फैसले पर देशभर में भारत बंद का आह्वान किया जा रहा है. इस पर डीएनए हिंदी ने कई विशेषज्ञों से बात की.

सु्प्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों राज्य सरकार को SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर बनाने  और उपवर्गीकरण (Subcategorization) करने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी SC-ST जातियां और जनजातियां समान वर्ग नहीं हैं. कई जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं. इसके लिए अदालत ने सीवर की सफाई करने वाले और बुनकर का काम करने वालों का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा कि ये दोनों ही जातियां एससी कैटेगरी में आती हैं. इस जाति से आने वाले लोग बाकी लोगों से ज्यादा पिछड़े हैं. कोर्ट ने कहा है कि जिन्हें वास्तव में इनकी आवश्यकता है उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए.  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. आज 21 अगस्त को 'भारत बंद' का आह्वान भी किया गया. हालांकि, ये बात अलग है कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं तो कुछ विरोध में. डीएनए हिंदी ने पक्ष और विपक्ष दोनों ही विशेषज्ञों से बात की. आइए जानते हैं. 

दलित दो वर्गों में बंट गया - डॉ. उदित राज
पूर्व लोकसभा सदस्य और असंगठित कामगार एवं कांग्रेस (केकेसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज का कहना है कि इस फैसले से दलित दो वर्गों में बट गया है. इससे पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ जाति के नेता पैदा होंगे और अस्तित्व बना लेंगे और खुद तो चुनाव न जीत सकेंगे और वोट कटवा होकर रह जाएंगे. 

आरक्षण अनटचेबिलिटी है, गरीबी उन्मूलन नहीं  -भाजपा
दूसरी तरफ, पूर्व राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम का कहना है कि ये सुप्रीम कोर्ट का मैटर है. लोगों को प्रदर्शन भी करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट भी जाना चाहिए. जो लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं वो उनका अधिकार है. लोग पक्ष और विपक्ष दोनों में विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने पहले ही बोल दिया है कि हम ऐसे क्रीमी लेयर को नहीं मानेंगे. संविधान में एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है. ये तो विचारधारा वाले लोग हैं जो 'भारत बंद' कर रहे हैं.  आरक्षण अनटचेबिलिटी है, गरीबी उन्मूलन नहीं है.

आरक्षण में बंटवारा कर रही भाजपा - शाहनवाज आलम
यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने बातचीत में कहा कि भाजपा सरकारी नौकरियां नहीं निकाल रही है ताकि आरक्षण लागू ही न करना पड़े. लेकिन वो पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की एकता को तोड़ने के लिए बिना ठोस सर्वे कराए ही आरक्षण में बंटवारा करना चाहती है. इस साजिश के तहत ही अनुसूचित जातियों और जनजातियों के वर्गीकरण के अधिकार को केंद्र से छीन कर राज्यों को दिया जा रहा है, जबकि बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने इन वर्गों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए ही उनके वर्गीकरण का अधिकार संसद को दिया था. उन्होंने कहा कि संविधान पर हुए इस हमले का पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग विरोध करेंगे.

मोदी सरकार ने दलितों के लिए किए ये 6 बड़े काम
लेखक और पत्रकार, प्रोफेसर दिलीप मंडल का कहना है कि इतिहास की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी के कंधों पर है. सोशल जस्टिस के ज्यादातर बड़े काम नरेंद्र मोदी सरकार ने इन 10 वर्षों में किए हैं. दिलीप मंडल ने मोदी सरकार ने दलितों के लिए कौन से बड़े काम किए हैं, इन्हें गिनवाया. 

  1. 1993 में ओबीसी कमीशन बना. ओबीसी कमीशन को कोई नाखून या दांत नहीं दिया गया. कोई अधिकार नहीं दिया गया. कमीशन बनाकर रख दिया गया. उसको संवैधानिक दर्जा नरेंद्र मोदी सरकार में मिला.   
  2. नवोदय स्कूल और सैनिक स्कूल में ओबीसी कोटा लाना.
  3. बाबा के साहब के जीवन से जुड़े पांच सबसे महत्वपूर्ण स्थल, उनके जन्म से लेकर महापरिनिर्वाण तक, उनको पंच तीर्थ के रूप में विकसित करना और उसको भव्य बनाना, ये काम भी नरेंद्र मोदी की सरकार में हुआ. 
  4. लंदन में उनके आवास को म्यूजियम बनाना, ताकि भारतीय जाकर उनको देख सकें, प्रेरणा पा सकें, स्टूडेंट को किस तरह से पढ़ना चाहिए, ये काम भी नरेंद्र मोदी सरकार ने किया. 
  5. महिलाओं को आरक्षण भी नरेंद्र मोदी सरकार में दिया गया. यहां तक कि ईडब्लूएस में आरक्षण देकर भी सरकार ने सामाजिक न्याय की मांग को पूरा किया है. 
  6. केंद्र सरकरा कोई भी योजना जब सैचुरेश के नजरिए से लाती है तो उसका लाभ सभी को मिलता है. इसके बाद ये बोलने की गुंजाइश नहीं रह जाती कि एससटी को नहीं मिला या एससी को नहीं मिला. केंद्र सरकार का आइडिया ऑफ यूनिवर्सलाइजेशन बहुत ही यूनिक आइडिया है. इसका लाभ सभी को मिलेगा. 

OBC और SC-ST आरक्षण में फर्क  
OBC और SC-ST आरक्षण में फर्क ये है कि संविधान निर्माताओं ने एससी-एसटी को आरक्षण देते समय बहुत विचार किया था. SC-ST का आरक्षण आर्थिक आधार पर बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर पिछड़े होने के कारण दिया गया था. 16 दिसंबर, 1992 में इंदिरा साहनी का जजमेंट आया. इसे मंडल जजमेंट भी कहते हैं. इसमें नौ जजों ने ओबीसी के संबंध में जो आरक्षण दिया उसमें आर्थिक आधार लगा दिया.  जब आर्थिक आधार लगा तो इनकम में लिमिट भी तय कर दी गई. जिन परिवारों की सालाना आय आठ लाख या उससे ज्यादा है उन्हें आरक्षण नहीं मिलेगा. 


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‘फूट डालो राज करो’ की साजिश कामयाब नहीं होगी - चंद्र शेखर आजाद
दूसरी तरफ, भीम आर्मी के मुखिया चंद्र शेखर आजाद ने सोशल मीडिया साइट X पर अपने विचार साझा कर कहा कि एक तरफ SC-ST में क्रीमीलेयर खोजते हो दूसरी तरफ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में हमारे जजों को गायब कर देते हों, NFS बताकर आरक्षित वर्ग की सीटें खाली छोड़ देते हो, एकल पद बताकर आरक्षण खत्म कर देते हो और अब हमें आपस में लड़ाने की साजिश भी करते हो. आज का ये जनआंदोलन केंद्र व राज्य सरकारों के लिए स्पष्ट संदेश है कि अब बहुजन समाज ‘फूट डालो राज करो’ की साजिश को कामयाब नहीं होने देगा. 

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