Bharat Biotech की नेज़ल वैक्सीन BBV154 का ट्रायल पूरा, अब नाक से दिए जा सकेंगे डोज़

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 15, 2022, 06:50 PM IST

भारत बायोटेक ने बनाई नाक से दी जाने वाली वैक्सीन

Covid-19 Nasal Vaccine: कोरोना वायरस से बचाने वाली एक और वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो गया है. भारत बायोटेक की यह वैक्सीन नाक से ही दी जा सकेगी. जल्द ही यह आम लोगों के इस्तेमाल के लिए भी उपलब्ध हो सकती है.

डीएनए हिंदी: कोरोना वायरस (Covid-19) से बचाने वाली वैक्सीन कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने कोरोना की नेज़ल वैक्सीन के ट्रायल में अहम सफलता हासिल की है. नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम BBV154 है. नेज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) पर दो तरह के ट्रायल चल रहे थे. पहला ट्रायल कोरोना की दो डोज़ वाली प्राइमरी वैक्सीन को लेकर चल रहा था और दूसरा ऐसी बूस्टर डोज़ के तौर पर, जो कोविशील्ड और कोवैक्सीन का डोज़ ले चुके दोनों तरह के लोगों को लगाई जा सके.
 
इन दोनों के ही तीसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो गए हैं और इसका डाटा ड्रग कंट्रोलर के पास जमा कर दिया गया है. अब ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी इस डाटा की समीक्षा करेगी. कोरोना की दो डोज वाली नेज़ल वैक्सीन के ट्रायल 3100 लोगों पर किए गए. भारत में 14 जगहों पर ये ट्रायल हुए हैं. हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के ट्रायल 875 लोगों पर हुए और भारत की 9 जगहों पर ये ट्रायल किए गए. दोनों स्टडी में प्रतिभागियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई.

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नाक से दी जाने वाली वैक्सीन घटाती है इन्फेक्शन 
हेटेरोलोगस बूस्टर डोज यानी ऐसी वैक्सीन जो कोवैक्सीन और कोवीशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे. शुरुआती नतीजों के मुताबिक, नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर सकती है जिससे इन्फेक्शन घटता है और संक्रमण कम फैल पाता है. हालांकि, इसकी और स्टडी भी की जा रही है. 

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इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी सेंट लुईस के साथ मिलकर बनाया है. भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोल़ॉजी ने कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस वैक्सीन के लिए आंशिक फंडिंग की है. भारत बायोटेक की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा इल्ला ने आज़ादी के दिन यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन का विकसित होना किफायती कदम है. यह वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री के तापमान पर स्टोरी की जा सकेगी. इसे बनाने का काम गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्लांट्स में किया जाएगा.

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