आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आप सांसद संजय सिंह को सुल्तानपुर की एमपीएमएलए कोर्ट द्वारा 2001 में सड़क जाम करने और लोगों को भड़काने के मामले में सुनाई गई तीन महीने की सजा और 1500 रुपए के जुर्माने के दंड पर रोक लगा दी है. सिंह ने हाई कोर्ट के आदेश को 'सत्य की जीत' बताया है.
शर्त के साथ मिली राहत
हाई कोर्ट ने इस शर्त पर सजा पर रोक लगाई है कि सिंह को 50 हजार रुपए का व्यक्तिगत बंधपत्र दाखिल करना होगा और यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि इस केस की सुनवाई के समय वे खुद या अपने वकील के जरिए जब जरूरत होगी तब हाजिर होंगे. यह आदेश जस्टिस करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने संजय सिंह की ओर से दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया. याचिका में एमपीएमएलए विशेष कोर्ट के 11 जनवरी, 2023 को सुनाए गए फैसले व उस पर सत्र अदालत की ओर से 6 अगस्त, 2024 को मुहर लगाने को चुनौती दी गई है.
साक्ष्यों की कमी का हवाला
विशेष अदालत ने आइपीसी की धारा 143 व 341 के तहत सिंह को तीन महीने के कठोर कारावास व 1500 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है. पीठ ने याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए निचली अदालत का रिकार्ड तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया सिंह के खिलाफ आइपीसी की धारा 143 व 341 के तहत सजा सुनाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं प्रतीत होते हैं.
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'झूठा फंसाया गया'
हाईकोर्ट में संजय सिंह का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ वकील और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही ने अभियोजन पक्ष के मामले को गलत साबित कर दिया है. राजनीतिक प्रतिशोध के कारण सिंह को कुछ अन्य आपराधिक मामलों में भी झूठे तरीके से फंसाया गया है.
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