डीएनए हिंदी: चंद्रमा धरती का उपग्रह है और इसी के चारों ओर चक्कर लगाता है. चक्कर लगाने की वजह से चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी घटती बढ़ती रहती है. यही कारण है कि पृथ्वी से इंसानों को दिखने वाले चंद्रमा का आकार छोटा-बड़ा दिखता रहता है. जब पूरा चंद्रमा दिखता है तो इस घटना को सुपरमून (Supermoon) कहा जाता है. इस साल 13 जुलाई यानी बुधवार को साल का सबसे बड़ा सुपरमून देखने को मिलेगा. ऐसा इसलिए होने वाला है क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी के काफी करीब आ जाएगा. इस घटना को लेकर खगोलीय वैज्ञानिकों और विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों में काफी चर्चा हो रही है.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 13 जुलाई को चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी सिर्फ़ 3,57,264 किलोमीटर रह जाएगी. उम्मीद जताई जा रही है कि अलग-अलग हिस्सों से कई दिनों तक पूरा चांद देखा जा सकेगा. चंद्रमा लगातार पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण प्रभाव डालता है, ऐसे में उसके और पास आ जाने से समुद्रों में ज्वार-भाटा की ऊंचाई बढ़ सकती है और ज्वार-भाटा के समय में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है. अनुमान जताया जा रहा है कि कुछ समुद्री तटों पर तेज लहरें आने से किनारों पर बाढ़ जैसे हालात भी आ सकते हैं.
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Supermoon क्या होता है?
इस घटना में 'सुपर' का कुछ खास मतलब नहीं है. सिर्फ़ इतना ही होता है कि चंद्रमा पूरा बड़े आकार का दिखेगा और उसकी चमक भी बाकी दिनों की तुलना में काफी ज्यादा होगी. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अपनी कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए चंद्रमा काफी नजदीक आ जाता है. इस घटना को अंग्रेजी में 'Perigee' कहा जाता है.
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सुपरमून शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले रिचर्ड नॉल्ले ने 1979 में किया. आपको बता दें कि चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी चार लाख किलोमीटर से ज्यादा होती है लेकिन इस बार सुपरमून के मौके पर यह दूरी लगभग 3.5 लाख किलोमीटर के आसपास रहेगी. इस घटना को 'बक मून' भी कहा जाता है. ऐसी अगली घटना 3 जुलाई 2023 को होगी. इस साल का आखिरी सुपरमून इसी साल जून में हुआ था. उस समय पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी 3,63,300 किलोमीटर थी.
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