डीएनए हिंदी: बिहार विधनासभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी की. जिसमें आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़ों के बारे में सरकार ने सदन को बताया. रिपोर्ट में बताया कि बिहार में करीब एक तिहाई जनसंख्या गरीब है. इनमें अनुसूचित जनजाति के 42.70 फीसदी और सामान्य वर्ग में 29.9 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. सामान्य वर्ग के गरीब लोगों में सबसे ज्यादा संख्या भूमिहार और ब्राम्हाणों की है. वहीं, शिक्षा की बात करें तो पूरे राज्य में सिर्फ 7 प्रतिशत लोग ही ग्रेजुएट हैं. इस रिपोर्ट को पेश करने के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी नेता नारेबाजी करने लगे.
नीतीश सरकार ने इसी साल अक्टूबर के महीने में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए थे. जिसको लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई थी. इस रिपोर्ट को अब बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया. जहां सरकार ने आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़ों के बारे में बताया. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार में 34.13 फीसदी परिवारों की मासिक आए महज 6,000 रुपये है. राज्य में लगभग 64 परिवार ऐसे हैं जो हर महीने 10 हजार रुपये या उससे कम पैसों में गुजर बसर कर रहे हैं.
गरीबों का आंकड़ा
बिहार में करीब एक तिहाई जनसंख्या गरीब है. सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी, पिछड़ा वर्ग के 33.16 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 फीसदी, अनुसूचित जाति में 42.93 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी और अन्य जातियों में 23.72 फीसदी गरीब परिवार हैं.
बिहार में शिक्षा का क्या है स्तर
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जातिवार गरीबी के आंकड़े
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