डीएनए हिंदी: बिहार में मंगलवार को सियासी पारा उस वक्त गरमा गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंच गए. नीतीश के साथ जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय चौधरी भी साथ थे. बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की. करीब 40 मिनट तक नीतीश की राज्यपाल के साथ बैठक चली. इस मुलाकात को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सीधे राजभवन पहुंच गए और राजभवन में करीब 40 मिनट तक रहे. राजभवन से निकलने के बाद वे सीधे मुख्यमंत्री आवास चले गए. इस दौरान राजभवन और मुख्यमंत्री आवास के बाहर बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद रहे, लेकिन उन्होंने पत्रकारों से कोई बात नहीं की.
RJD-JDU ने बताई मुलाकात की वजह
राजद और जदयू के नेता इसे सीएम नीतीश कुमार की औपचारिक मुलाकात बता रहे हैं. दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि यह मात्र औपचारिक मुलाकात थी, इससे ज्यादा कुछ नहीं है. इसके अन्य अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए. सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश ने विधानमंडल बजट को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार का यह सत्र बेहद खास होने वाला है.
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गौरतलब है कि नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में जाने के कयास पिछले करीब एक सप्ताह से बिहार की सियासत में लगाए जा रहे हैं. आज राज्यपाल से उनकी अचानक मुलाकत से अटकलें लगने लगी की कहीं नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तो नहीं गए हैं? बिहार में ये सियासी अटकलें तब से तेज हुई हैं जब से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान आया. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अमित शाह से जब पूछा गया कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी की संभावनाएं हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अगर उधर से प्रस्ताव आएगा तो जरूर विचार किया जाएगा.
जीतन राम मांझी बोले- खेला होबे
वहीं, इस मुलाकात पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि 'खेला होबे'. एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने मंगलवार को प्रदेश में 'खेला होने' के संकेत देते हुए इशारों-इशारों में एक्स पर लिखा, 'बंगला में कहतें हैं, 'खेला होबे', मगही में कहते हैं, 'खेला होकतो', भोजपुरी में कहते हैं, 'खेला होखी' बाकी तो आप खुद ही समझदार हैं. इससे पहले भी मांझी सियासत में बदलाव के संकेत दे चुके हैं. उन्होंने अपने विधायकों को 25 जनवरी तक पटना में रहने तक के निर्देश दिए हैं.
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