Bihar Kosi River: बिहार में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है, जहां 17 जिलों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर का है. कोसी, गंडक, महानंदा, बागमती और गंगा जैसी नदियां राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अपना कहर बरपा रही हैं. सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में कोसी नदी का प्रभाव देखा जा रहा है. यह नदी पिछले 250 वर्षों में करीब 120 किलोमीटर तक अपना रास्ता बदल चुकी है. इस कारण से बाढ़ की समस्या और भी गंभीर होती जा रही है.
बचाव कार्यों में लगी हुई हैं टीमें
बाढ़ के कारण राज्य के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, किशनगंज, अररिया, शिवहर, गोपालगंज, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा और सारण जैसे जिलों में हालत चिंताजनक हैं. भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से राहत सामग्री, जैसे खाने के पैकेट, प्रभावित इलाकों में गिराए जा रहे हैं. NDRF और SDRF की 33 टीमें राहत और बचाव कार्यों में लगातार लगी हुई हैं. इसके अलावा, करीब 975 नावें भी राहत कार्यों में उपयोग की जा रही हैं.
बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाई गई हैं योजनाएं
कोसी नदी के बाढ़ को नियंत्रण करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता सीमित रही है. बता दें कि 1950 के दशक में भारत और नेपाल के बीच कोसी परियोजना शुरू की गई थी, जिसमें नदी के दोनों किनारों पर तटबंध बनाए गए थे. इन तटबंधों का उद्देश्य बाढ़ को नियंत्रित करना था, लेकिन तटबंधों की विफलता (2008 में कोसी तटबंध का टूटना) ने इन योजनाओं की सीमाओं को उजागर किया. कोसी नदी के साथ आने वाली बड़ी मात्रा में गाद के कारण नदी की धारा अक्सर बदलती रहती है, जिससे तटबंध भी असफल हो जाते हैं.
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बिहार में बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंधों के अलावा अन्य उपायों, जैसे जल संग्रहण और नहरों के विस्तार पर भी ध्यान देने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन के कारण असमान बारिश और अप्रत्याशित मौसम से बाढ़ की समस्या बढ़ रही है. नेपाल से अचानक आने वाले पानी को नियंत्रित करने के लिए ठोस योजना का अभाव भी इस समस्या को बढ़ा रहा है.
नेपाल में भी कोसी हाई डैम बनाने की योजना है
कोसी नदी पर बाढ़ नियंत्रण के लिए नेपाल में कोसी हाई डैम बनाने की योजना है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर जल संग्रहण करना और बाढ़ को नियंत्रित करना है. हालांकि, इस योजना को अभी तक लागू नहीं किया जा सका है. इस डैम के बनने से कोसी नदी के जलस्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, जिससे बाढ़ की गंभीरता को कम किया जा सकेगा.
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सरकार द्वारा के लगातार प्रयासों के बाद भी बाढ़ की समस्या हर वर्ष और गंभीर होती जा रही है. बिहार के लिए एक दीर्घकालिक और समन्वित बाढ़ नियंत्रण नीति की आवश्यकता है, जिसमें दोनों देशों—भारत और नेपाल के बीच बेहतर तालमेल हो सके, ताकि बाढ़ के खतरे को कम किया जा सके.
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