डीएनए हिंदी: बिहार में शिक्षा विभाग ने उन छात्रों को झटका दिया है, जो लगातार विद्यालय नहीं जाते हैं. बिहार के शिक्षा विभाग ने अनुपस्थित रहने के कारण राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 20,87,063 छात्र-छात्राओं का पंजीकरण रद्द कर दिया है. बिहार के सरकारी स्कूलों से 15 दिनों से ज्यादा समय तक स्कूलों से गायब रहने वाले छात्र-छात्राओं के खिलाफ शिक्षा विभाग ने एक्शन लेने का फैसला किया है. जिन छात्र–छात्राओं का नाम स्कूलों से काटा गया है, उनमें 9वीं से 12वीं तक के बच्चे भी शामिल हैं.
विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक निर्देश के बाद अबतक सरकारी स्कूलों से 20,60,340 छात्रों के नाम काट दिए हैं. उपस्थिति में सुधार के लिए यह अभियान 1 सितंबर 2023 को शुरू किया गया था. पाठक ने दो सितंबर, 2023 को सभी जिलाधिकारियों को लिखे एक पत्र में लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को निष्कासित करने और निजी स्कूलों या कोटा जैसे दूर-दराज के स्थानों में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों की ‘ट्रैकिंग’ करने जैसे कठोर कदम उठाने का आदेश दिए थे. पाठक ने दैनिक आधार पर कक्षाओं में उनकी उपस्थिति सहित छात्र उपस्थिति की सख्त निगरानी का निर्देश दिया है. इसके साथ उन्होंने खुद कई स्कूलों का निरीक्षण करने और राज्य भर में विभाग के अधिकारियों की टीमों को भेजने के बाद उपस्थिति में अनियमितता का संदेह जताया था.
इन जिलों में कटे सबसे ज्यादा नाम
सबसे अधिक छात्र मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण के सरकारी विद्यालयों में छात्र अनुपस्थित पाए गए हैं, वहीं, सबसे कम शिवहर में 20 हजार 206 छात्र अनुपस्थित मिले हैं. संबंधित अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना बच्चों को लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित पाए जाने के बाद विभाग ने ये कड़ा कदम उठाया है. इनमें 2,66,564 छात्र कक्षा 9 से 12 तक के हैं, इस कार्रवाई के बाद इन छात्र-छात्राओं को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में तब तक शामिल नहीं होने दिया जाएगा, जब तक कि उनके माता-पिता दोबारा उनकी गलती न दोहराने का हलफनामा दाखिल न कर दें.
शिक्षा विभाग के फैसले पर शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
शिक्षा विभाग के फैसले पर शिक्षक संघ ने नाराजगी जताई है. बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में सभी बच्चों को पढ़ने का अधिकार दिया गया है, इस तरह से नाम काटना बिल्कुल व्यवहारिक नहीं है. उन्होने कहा कि ऐसा जरुरी नहीं कि अगर कोई बच्चा 10 दिन विद्यालय नहीं आ रहा है तो वह प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाई करता हो. उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण आयोग को संज्ञान लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस बच्चे का नाम सरकारी विद्यालय के अतिरिक्त दूसरे जगह नहीं है, उसका नाम नही काटा जाए.
केके पाठक ने सभी जिलों के डीएम को दिया था नोटिस
शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले से बच्चों, अभिभावकों और अधिकारियों में हड़कंप मचा है. आपको बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बिहार के सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजकर यह आदेश जारी किया था कि तीन दिन तक गायब रहने वाले छात्रों के यहां पहले नोटिस जाएगा. छात्र अगर 15 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहते हैं तो उनका नामांकन रद्द होगा.
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