डीएनए हिंदी: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban) पर खूब विवाद होते रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बार-बार अपनी सरकार की पीठ ठोंकते हैं. इसके बावजूद, कहीं जहरीली और नकली शराब की घटना सामने आती है तो कहीं शराब बनाने की फैक्ट्रियां पकड़ी जाती हैं. इस बार तो कलेक्टर ऑफिस (Samastipur Collectorate) में शराब की खाली बोतलें पाई गई हैं. समस्तीपुर जिले के सबसे बड़े अधिकारी के दफ्तर से शराब की बोतलें निकलने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि अगर डीएम ऑफिस में ही इस तरह की हरकत होगी तो आम लोगों को आखिर कैसे रोका जाएगा?
समस्तीपुर कलेक्ट्रेट के एक कोने में शराब की कई खाली बोतलें पाई गई हैं. घटना सामने आने के बाद एक्साइज सुपरिंटेंडेंट शैंलेंद्र कुमार चौधरी का कहना है, "मुझे आप लोगों से ही यह जानकारी मिली है. मैंने भी ये तस्वीरें देखी हैं. तस्वीर देखकर लगता है कि शराब की बोतलें काफी पुरानी हैं. फिर भी, हम इस मामले की जांच करेंगे और कार्रवाई भी करेंगे."
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6 साल से लागू है शराबबंदी
बिहार में साल 2016 से शराबबंदी लागू की गई है. इसके तहत, बिहार में किसी भी प्रकार की शराब बनाना, बेचना या पीना अपराध है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शराबबंदी के बावजूद आम लोग रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. दिसंबर 2022 तक 5 लाख से ज्यादा लोगों के खिलाफ शराबबंदी का कानून तोड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया जा चुका था.
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शराबबंदी का एक असर यह भी हुआ है कि कच्ची शराब, नकली और जहरीली शराब बनाने वालों का कारोबार खूब फैला है. बीते कुछ सालों में शराब की तस्करी भी जमकर हो रही है. हाल ही में जहरीली शराब पीने से बिहार के छपरा और सारण में हुए जहरीली शराब कांड में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी.
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