CRPF का बड़ा दावा- नक्सल मुक्त हुआ बिहार, देश भर में 77 प्रतिशत कम हुए हमले

| Updated: Sep 21, 2022, 07:08 PM IST

सीआरपीएफ के डीजी ने किया बड़ा दावा

Naxalism Bihar CRPF: सीआरपीएफ ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में नक्सली घटनाएं तेजी से कम हो रही हैं. बिहार तो पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है.

डीएनए हिंदी: देश भर में नक्सल विरोधी अभियानों की अगुवाई करने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने बड़ा दावा किया है. सीआरपीएफ के मुताबिक, बिहार अब नक्सलियों से मुक्त हो चुका है. केंद्रीय बल (CRPF) ने यह भी बताया है कि देशभर में नक्सली हमलों (Naxal Attacks) की संख्या में 77 प्रतिशत की कमी आई है. इसके अलावा, लोगों के मारे जाने की घटनाएं कम हो गई हैं और मरने वाले लोगों की संख्या में 85 फीसदी की कमी आ गई है. अब देश के सिर्फ़ 25 जिले ऐसे रह गए हैं जो नक्सल प्रभावित हैं.

सीआरपीएफ की मानें तो बिहार से नक्सलियों का सफाया हो गया है. सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि बिहार और झारखंड में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां फोर्स नहीं पहुंच सकती. उन्होंने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों ने इस साल भारी सफलता अर्जित की है. उन्होंने कहा कि हम कह सकते हैं कि अब बिहार राज्य नक्सल मुक्त है. रंगदारी गिरोह के रूप में इनकी थोड़ी बहुत मौजूदगी हो सकती है लेकिन बिहार में अब ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां नक्सलियों का दबदबा हो.

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बूढ़ा पहाड़ भी हुआ नक्सल फ्री
वहीं, दूसरी तरफ बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां सुरक्षा बल नहीं पहुंच सकते. सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि झारखंड में तीन दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. पहली बार हेलीकॉप्टर की मदद से वहां फोर्स भेजी गई है. सुरक्षाबलों के लिए स्थाई कैंप भी लगाया गया है. यह तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है.

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सीआरपीएफ के मुताबिक, अप्रैल 2022 से अब तक 14 नक्सलियों को मार गिराया गया है. इनमें छत्तीसगढ़ में 7 नक्सली, झारखंड में 4 और मध्य प्रदेश में 3 नक्सली ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं. वहीं, कुल 578 माओवादियों ने या तो आत्मसमर्पण किया है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. बिहार में 36, छत्तीसगढ़ में 414, झारखंड में 110 और महाराष्ट्र में 18 नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है.

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सीआरपीएफ के मुताबिक वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में इस साल 77 फीसदी की कमी आई है. 2009 में नक्सलियों की ओर से किए गए हमलों की संख्या 2258 थी, जो पिछले साल घटकर 509 हो गई. इस साल जून तक सिर्फ 295 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं, मृत्यु दर में भी 85 फीसदी तक की कमी आई है. आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी. वहीं साल 2018 में 30 हो गई थी, जो अब घटकर 25 रह गई है.

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