Prashant Kishor: बिहार की राजनीति दशकों से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के इर्द-गिर्द घूमती रही है. हालांकि, 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रशांत किशोर के रूप में एक और महत्वपूर्ण नाम तेजी से उभर रहा है. एक सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बना चुके किशोर अब सक्रिय रूप से राजनीति के मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. उनकी पार्टी 'जन सुराज' के बैनर तले बिहार में बदलाव की नई लहर लाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
प्रत्याशी चयन की अमेरिकी मेथड अपनाएंगे प्रशांत किशोर
हाल ही में भोजपुर जिले में आयोजित एक प्रेस वार्ता में प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जो अब चर्चा का विषय बन गया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 'जन सुराज' से जो भी उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरेगा, उसका चयन एक विशेष प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. इस प्रक्रिया की तुलना उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों से की है, जहां गहन विचार-विमर्श के बाद पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन करती है. प्रशांत किशोर ने बताया कि प्रत्येक विधानसभा सीट पर पार्टी पांच से सात उम्मीदवारों की घोषणा करेगी, जो जनता के बीच जाकर अपनी योजनाओं का प्रचार करेंगे. इसके बाद जिस उम्मीदवार पर जनता का सबसे ज्यादा समर्थन होगा, उसे पार्टी से टिकट दिया जाएगा.
2 अक्टूबर को पार्टी का औपचारिक लॉन्च
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर आगामी 2 अक्टूबर को अपनी पार्टी 'जन सुराज' का आधिकारिक रूप से गठन करेंगे. महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरित किशोर ने इस विशेष दिन को चुना है, जो गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह कदम उनकी गांधीवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिस पर वे अपनी राजनीतिक यात्रा को आधारित कर रहे हैं. बता दें कि प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2022 से बिहार भर में 'जन सुराज यात्रा' पर हैं, जिसमें वे विभिन्न जिलों में जाकर आम जनता से संवाद कर रहे हैं और उनके मुद्दों को सुन रहे हैं.
बिहार की पारंपरिक राजनीति को चुनौती
प्रशांत किशोर की राजनीति पारंपरिक दलों से काफी अलग है. वे जनता के जमीनी मुद्दों को उठाने और राजनीति में नई धार लाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उनकी रणनीति न केवल चुनावी प्रक्रिया में बदलाव लाने का प्रयास है, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने जैसा भी दिखता है.
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प्रशांत किशोर की अग्निपरीक्षा
हालांकि, बिहार की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड जैसी प्रमुख पार्टियों का दबदबा अभी भी बरकरार है. प्रशांत किशोर के लिए असली चुनौती यही होगी कि वे कितनी सफलतापूर्वक जनता के बीच अपनी जगह बना पाते हैं. अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में यह साफ हो जाएगा कि जनता ने उनके इस नए राजनीतिक प्रयोग पर कितना विश्वास जताया है.
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