डीएनए हिंदी: नीतीश कुमार के हर बयान के बाद सियासी कयास लगने शुरू हो जाते हैं. एक ही दिन में वह बीजेपी के नेताओं को अपने पुराने और जिंदगी भर के लिए दोस्त बताते हैं और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी होने का संकेत भी देते हैं. बीजेपी के लिए उनके नर्म पड़ते तेवर देखकर कभी कहा जाता है कि वह फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं. दूसरी ओर तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी बताकर वह इंडिया गठबंधन के पीएम फेस होने के दावों को भी बल देते हैं. उनके हर बयान के साथ सियासत के बदलते रंगों और समीकरण की झलक मिल रही है. हालांकि, बीजेपी कह चुकी है कि अब जेडीयू के मुखिया के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो चुके हैं लेकिन पिछले कुछ वक्त में बीजेपी ने भी अपने हमले कम कर दिए हैं.
हालांकि, राजनीतिक हलकों में ऐसी भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार अपनी राजनीति का रुख मोड़कर दिल्ली की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं. राज्यसभा जाने की ख्वाहिश भी वह इशारों में जता चुके हैं. बिहार के सियासी जानकारों का कहना है के जेडीयू में सेकंड लाइन ऑफ लीडरशिप नहीं है और पूरी संभावना है कि 2024 चुनाव के बाद वह तेजस्वी को औपचारिक तौर पर अपना उत्तराधिकारी बना दें. कहा तो यहां तक जा रहा है कि जेडीयू और आरजेडी का विलय भी किया जा सकता है.
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बीजेपी को लेकर तल्खियों में आ रही है कमी
नीतीश की राजनीतिक चाल को समझना सबके बूते की बात नहीं है. वह कभी भी मौका देखकर यू-टर्न ले सकते हैं. पिछले एक दशक में कई बार वह पाला बदल चुके हैं और दिलचस्प बात यह है कि हर बार उनका दूसरे पक्ष ने स्वागत किया है. पिछले कुछ वक्त से उन्होंने सीधे बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले बोलना बंद कर दिया है. पटना में मंच से वह बीजेपी नेताओं को कह चुके हैं कि आप लोग हमेशा मेरे दोस्त हैं और हमेशा दोस्त रहेंगे. ऐसे में उनके वापस एनडीए में शामिल होने की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है.
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क्या इंडिया के पीएम फेस बनेंगे नीतीश कुमार
फिलहाल नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ हैं और उनके बारे में अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं कि वह पीएम फेस बन सकते हैं. हालांकि, यह इतना आसान नहीं रहने वाला क्योंकि इंडिया गठबंधन में पीएम फेस के कई दावेदार हैं जिनमें ममता बनर्जी से लेकर शरद पवार जैसे दिग्गजों का नाम सामने आता रहता है. नीतीश कुमार की छवि ईमानदार नेता की रही है लेकिन बार-बार पाला बदलने की वजह से उनको विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है. अब देखना है कि आने वाले कुछ महीनों में नीतीश की राजनीति क्या रहने वाली है.
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