डीएनए हिंदी: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक बदलाव की सुगबुगाहट है. खबर है कि नीतीश कुमार शुक्रवार की शाम को ही राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं. सरकार बचाने के लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) से भी समर्थन मांगा है. आरजेडी को बहुमत के लिए 8 विधायकों के समर्थन की दरकार होगी. ऐसे में जीतन राम मांझी को साथ लाने के लिए उन्होंने उनके बेटे को डिप्टी सीएम का पद ही ऑफर कर दिया है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के पास अभी चार विधायक हैं. अगर लालू को इन दोनों पार्टियों का समर्थन मिल जाता है तो बहुमत का जादुई आंकड़ा छू सकते हैं.
बिहार विधानसभा में वर्तमान में राजद के 79 विधायक हैं. बीजेपी के 78, जेडीयू के 45, कांग्रेस के 19, भाकपा वाले के 12, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार, माकपा के 2, AIMIM के 1 और एक निर्दलीय विधायक है. कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के समर्थन के बाद भी आरजेडी बहुमत के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सकती है. निर्दलीय और एआईएमआईएम के विधायक से लालू यादव के संपर्क करने की बात कही जा रही है. हम पार्टी ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि उनकी पार्टी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है.
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लालू यादव इस बार मौका नहीं चूकना चाहते
सूत्रों का कहना है कि लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को जल्द से जल्द सीएम के पद पर देखना चाहते हैं. उन्हें आशंका है कि अगर नीतीश फिर से एनडीए के साथ जाते हैं तो विधानसभा भंग कर लोकसभा चुनावों के साथ ही चुनाव कराए जा सकते हैं. ऐसे में आरजेडी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. दूसरी ओर खुद वह और उनका पूरा परिवार भ्रष्टाचार के कई मामलों में ईडी और सीबीआई के जांच के घेरे में हैं. इस स्थिति में आरजेडी प्रमुख इस बार अपनी सारी कोशिशें कर लेना चाहते हैं.
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नीतीश कुमार की एनडीए के साथ हो गई है डील पक्की
कहा जा रहा है कि एनडीए के साथ नीतीश कुमार की डील पक्की हो गई है और लोकसभा चुनावों तक के लिए समझौता हो चुका है. इस बार जेडीयू कुछ कम सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली है. बिहार के लिए जल्द ही पीएम नरेंद्र मोदी विशेष पैकेज का भी ऐलान कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि एनडीए अपने दो और सहयोगी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को भी साथ लेकर चलना चाहती है. दिल्ली में शुक्रवार को चिराग पासवान की अमित शाह से मुलाकात भी तय है.
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