Bihar Politics: बिहार की राजनीति में फिर होने वाला है खेला? नीतीश कुमार की सफाई में छिपे हैं संकेत

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Sep 08, 2024, 04:43 PM IST

नीतीश-तेजस्वी की मीटिंग के बाद अटकलों का दौर जारी

Nitish Kumar Tejashwi Yadav Meeting: बिहार की राजनीति को लेकर अटकलों का दौर फिर से शुरू हो गया है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद 'खेला' होने का अंदेशा लगाया जा रहा है. 

बिहार की राजनीति में अटकलों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है. कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव (Nitish Kumar Tejashwi Yadav) की मुलाकात शुरू हुई है. सीएम नीतीश के अब तक के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए पलटी मारने की आशंका से किसी तरह से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. बिहार की राजनीति के जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि नीतीश कुमार महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव नतीजो का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी ओर तेजस्वी यादव और आरजेडी (RJD) ने अब तक नीतीश के साथ आने की उम्मीद नहीं छोड़ी है. 

'खेला' की आशंका देखकर नीतीश कुमार ने दे दी सफाई 
बिहार की राजनीति में पिछले एक दशक में इतनी बार आवाजाही हो चुकी है कि 'खेला' वहां राजनीति में इस्तेमाल होने वाला स्थायी शब्द बन गया है. हालांकि, लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद ही नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया था कि अब वह कहीं नहीं जाएंगे. बीच में उनसे गलती हो गई थी. उसके बाद से अब तक न सिर्फ नीतीश बल्कि बीजेपी और चिराग पासवान भी बिहार में एनडीए (NDA) में किसी तरह की दरार नहीं होने की बात दोहराते रहे हैं.


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आम बजट में बिहार को केंद्र सरकार की ओर से खुलकर पैसा भी मिला है. इसके बावजूद पाला बदलने की अटकलों पर खुद सीएम ने सफाई दे दी है. उन्होंने कहा है कि वह एनडीए (NDA) में मजबूती के साथ हैं और अगला विधानसभा चुनाव भी एनडीए के सभी सहयोगी मिलकर लड़ेंगे.

नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात के बाद क्यों उठी अटकलें 
दरअसल जब नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ जा मिले थे तब आरजेडी (RJD) और तेजस्वी यादव उनके लिए बेहद तल्ख थे. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में तेजस्वी की यह तल्खी पहले से काफी कम हो गई है. लालू यादव ने भी इशारों में कहा है कि अगर नीतीश कुमार वापस आएंगे तो उनके लिए दरवाजे बंद नहीं हैं. बिहार की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि आरजेडी को भी नीतीश के राजनीतिक कद का अंदाजा है और प्रदेश की सत्ता में फिर से आने के लिए उन्हें जेडीयू को साथ लेकर चलने से परहेज नहीं है.


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