छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपोलो के चार डॉक्टर्स को एक मामले में राहत दी है. हाईकोर्ट ने डॉक्टरों के पक्ष में टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि ऐसा हुआ तो कोई भी डॉक्टर मरीज का इलाज नहीं करेगा. यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर के गोल्डी छाबड़ा डेथ केस में की है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे ने अपोलो अस्पताल के चार डॉक्टरों के खिलाफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे में डॉक्टर इलाज करना छोड़ देगा. बता दें कि इलाज के दौरान हुई मौत को लेकर अपोलो के चार डॉक्टरों पर गैर इरादतन हत्या का अपराध दर्ज किया गया है. इस मामले में अपोलो के डॉक्टरों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. सुनवाई के दौरान बेंच को बताया गया था कि चार्जशीट पेश हो गया है. अभी चार्ज फ्रेम नहीं हुआ है. इस पर कोर्ट ने न्यायालय के आगे की कार्रवाई में रोक लगाते हुए प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.
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जानिए पूरा मामला
दयालबंद निवासी गोल्डी छाबड़ा को 25 दिसम्बर 2016 को पेट मे दर्द होने पर अपोलो में भर्ती किया गया था. 26 दिसम्बर को उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने जांच के दौरान शव का पोस्टमॉर्टम कराया, जिसके बाद बिसरा जांच के लिए भेजा गया. परिजन ने हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई, इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और मेडिको लीगल संस्थान ने डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट दी. इस पर पुलिस ने एक्शन लेते हुए 4 डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया. पुलिस ने उपचार में लापरवाही के आरोप में डॉ देवेंदर सिंह, डॉ राजीव लोचन, डॉ सुनील केडिया और डॉ मनोज राय के खिलाफ धारा 304 ए के तहत जुर्म दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था.
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