Bilkis Bano Case: 11 दोषियों की रिहाई के मामले में सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 12, 2023, 05:14 PM IST

Bilkis Bano Gangrape Case

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को रिहा करने के मामले में केंद्र और गुजरात सरकार से ऑरिजनल रिकॉर्ड्स अंग्रेजी अनुवाद के साथ 16 अक्टूबर तक जमा करने का निर्देश दिया है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट संबंधी मूल रिकॉर्ड 16 अक्टूबर तक जमा करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने फैसला रिजर्व कर लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के वकील और केंद्र, गुजरात सरकार और जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में बिलकिस की याचिका के साथ ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा समेत अन्य ने जनहित याचिकाएं दायर कर सजा में छूट को चुनौती दी है.

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दंगाइयों ने 3 साल की बेटी को भी नहीं बख्शा था
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी दोषियों की सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है. बिलकिस बानो उस वक्त 21 वर्ष की थी और पांच महीने की गर्भवती थी, जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई.

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