Karnataka Assembly polls: अगले चुनावों में कर्नाटक में मुश्किल लग रही है बीजेपी की डगर!

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 06, 2022, 12:07 PM IST

मल्लिकार्जुन खड़गे और बोम्मई

कर्नाटक में बीजेपी की मुश्किल बढ़ती जा रही है. आंतरिक कलह के साथ-साथ अब मल्लिकार्जुन खड़गे फैक्टर से भी बीजेपी चिंतित दिख रही है...

डीएनए हिन्दी: कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' (Congress Bharat Jodo Yatra) में आज (गुरुवार को) सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) शामिल हुईं. कांग्रेस की यह यात्रा अभी कर्नाटक से गुजर रही है. कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. ध्यान रहे कि अभी कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. बासवराज (Basavaraj Bommai) बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं. 

कर्नाटक के कद्दावर बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा के पिछले साल मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद बोम्मई सीएम बने  थे, तब से बीजेपी के भीतर आंतरिक विरोध की खबरें सामने आ रही हैं. कई बार आलाकामान को इसमें हस्तक्षेप भी करना पड़ा. ऐसे में कुछ ही महीनों बाद कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly polls) बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आएगी. 

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बीजेपी के सामने एक और चुनौती लगभग तय है. माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे. खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. खड़गे का लंबा राजनीतिक जीवन है. उनकी छवि भी बेदाग है. वह कर्नाटक से लेकर देश की राजनीति में बड़े पदों पर रह चुके हैं. हालांकि, वह कभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. वह राष्ट्रीय राजनीति में दोनों सदनों में कांग्रेस के नेता रहे हैं. अगर वह अध्यक्ष बनते हैं तो उनका कद और बड़ा होगा. मल्लिकार्जुन खड़गे दलित समुदाय से आते हैं. 

खड़गे अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो ऐसे में दलितों का कांग्रेस के प्रति खासा झुकाव बढ़ेगा. कर्नाटक में इसका ज्यादा असर पड़ सकता है. कर्नाटक की राजनीति में करीब 17 फीसदी दलित और 7 फीसदी अनुसूचित जनजाति की आबादी है. यह 24 फीसदी वोट बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों को मिलता है. कर्नाटक के सियासी जानकारों की मानें तो अगर खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो इन दोनों समुदायों का ज्यादातर वोट कांग्रेस की तरफ शिफ्ट कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए दोबारा सत्ता में आना मुश्किल हो जाएगी. 

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एक्सपर्ट बता रहे हैं कि बीजेपी को इस संकट का आभास भी है. वह कर्नाटक के दो ताकतवर समुदायों लिंगायत और वोक्कालिगा को साधने एक साथ साधने में जुट गई है. मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से ही आते हैं. लेकिन, बीजेपी के लिए यह आसान नहीं होगा. ये दोनों समुदाय कर्नाटक की राजनीति में एक-दूसरे प्रतिद्वद्वी रहे हैं. ऐसे में इस रणनीति में बीजेपी को कितनी सफलता मिलेगी यह समय ही बता पाएगा. 

बीजेपी की अंदरूनी झगड़ों और खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से अगले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को फायदा होता नजर आ रहा है. साथ ही राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा'(Bharat Jodo Yatra) से कांग्रेस को राज्य में पॉलिटिकल फायदा होता भी दिख रहा है.

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