लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले अचानक ही कच्चातिवू द्वीप की चर्चा पूरे देश में होने लगा है. अब तक गुमनाम से इस टापू की का जिक्र पीएम मोदी (PM Modi) ने अपने एक भाषण में किया और उसके बाद से ही इस पर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है. राजनीतिक सिरों को पकड़े, तो यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि बीजेपी (BJP) के 400 पार नारा ही इसके पीछे का उद्देश्य है. 400 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए दक्षिण भारत में भगवा पार्टी को अपना प्रदर्शन बेहतर करना ही होगा.
मछुआरों को साधने की है बीजेपी की रणनीति
कच्चातिवू के जरिए बीजेपी तमिलनाडु के वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है. तमिलनाडु समुद्री राज्य है और इसकी समुद्री सीमाएं श्रीलंका से लगती हैं. 1000 किमी. से ज्यादा लंबे समुद्र तट होने की वजह से मछली पालन राज्य की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है. श्रीलंका से लगने वाली समुद्री सीमाओं की वजह से कई बार मछुआरे गलती से उनकी सीमा में भी प्रवेश कर जाते हैं.
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दूसरी ओर प्रदेश में 600 के करीब गांव हैं, जिसमें 10 लाख से ज्यादा मछुआरे रहते हैं. मछुआरा कम्युनिटी तमिलनाडु के चुनावों में अपना दखल रखती है. बीजपी की नजर इसी वोट बैंक को साधने की है. पीएम मोदी के कच्चातिवू का मुद्दा उठाने के बाद सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी डीएमके सरकार पर मछुआरों की उपेक्षा का आरोप लगाकर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया.
पीएम मोदी दे चुके हैं ब्लू इकोनॉमी का मंत्र
मछुआरों को अपने साथ जोड़ने के लिए बीजेपी के पास इस वक्त कई मुद्दे हैं. पीएम मोदी मछली पालन के आधुनिक तरीकों पर जोर देते रहे हैं और उन्होंने ब्लू इकोनॉमी की भी बात की है. दूसरी ओर प्रदेश की डीएमके सरकार पर बीजेपी मछुआरों की उपेक्षा का आरोप लगाती रही है. बीजेपी के पास 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले इस समुदाय को लुभाने का इस वक्त मौका भी है. साल 2020 में राष्ट्रीय मतस्य नीति लाई गई थी. कच्चातिवू के बहाने भगवा पार्टी समुद्री राज्य के लिए अपना विजन और चिंता दोनों दिखाना चाहती है.
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