BJP Mission 2024: यूपी से निकलेगी मिशन 2024 की राह, तैयारियों में जुटी बीजेपी, ये है रणनीति

अभिषेक शुक्ल | Updated:Aug 01, 2022, 04:22 PM IST

योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो- BJP/Twitter)

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी की भारी बहुमत से जीत तो हुई है लेकिन सीटें घट गई हैं. अगर यही स्थिति लोकसभा चुनावों में भी रही तो पार्टी की चुनौतियां बढ़ सकती हैं. क्षेत्रीय दलों के जातीय समीकरणों के जवाब में बीजेपी अब नई रणनीति तैयार कर रही है.

डीएनए हिंदी: भले ही आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024) में 2 साल बाकी हों लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने सियासी समीकरणों को साधने के लिए अभी से तैयारियों में जुट गई है. चित्रकूट में बीजेपी ने 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था. राज्य स्तरीय ट्रेनिंग कैंप में बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने रणनीति तैयार की कि किस तरह जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करना है.

उत्तर प्रदेश का चित्रकूट धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इलाका माना जाता है. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की रणनीति बीजेपी ने यहीं से तैयार की है. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने कहा है कि कार्यकर्ता पार्टी की मूल विचारधारा पर टिके रहें तभी लोकसभा चुनावों की राह आसान हो सकती है.

बीजेपी की तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में कुल 13 सत्र आयोजित हुए. हर सत्र में रणनीति तैयार की जा रही थी कि तरह जमीनी स्तर पर पार्टी का प्रचार करना है. कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के विकास मॉडल पर ही जोर देना है. पार्टी को मूल विचारधाराओं पर ही काम करना है.

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किस बात को लेकर चिंतित है पार्टी का शीर्ष नेतृत्व?

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती जातिवादी समीकरणों को पार पाना है. एक तरफ जहां क्षेत्रिय दलों के पास मजबूत जातीय गठजोड़ है, बीजेपी इसी की कमी से जूझती है. राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मुद्दा ही ऐसा है जिस पर सारी जातियां एकजुट हो जाती हैं. 

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जातीय समीकरणों को ध्वस्त करने में जुटी बीजेपी

विधानसभा चुनाव 2022 में यूपी के जातीय समीकरणों ने एक बार फिर साबित किया है कि बीजेपी की राह बहुत आसान नहीं है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम समीकरण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में यादव-मुस्लिम समीकरणों ने सपा को मजबूत बढ़त दिलाई है. सपा के सहयोगी दल भी फायदे में रहे हैं. ऐसे में जातीय समीकरणों को तोड़कर आगे बढ़ पाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अब भारतीय जनता पार्टी का सारा जोर इस बात पर है कि सारे जातीय समीकरणों को ध्वस्त कर दिया जाए और राष्ट्रवाद की मूल विचारधारा पर आगे बढ़कर एक बार फिर पार्टी को जीत दिलाई जाए.

2019 से ही यूपी में बीजेपी को मिल रहा है झटका

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 80 सीटों में से 64 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन ने 73 से सीधे 64 सीटों पर लाकर बीजेपी को खड़ा कर दिया था. विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कुल 255 सीटें जीती थीं. अपना दल (एस) को 12 सीटों पर जीत मिली और निषाद पार्टी को कुल 6 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी को भले ही स्पष्ट बहुमत मिला हो लेकिन बीजेपी को साल 2017 के चुनावों में कुल 312 सीटें हासिल हुईं थीं.

बीजेपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से अपनी विधानसभा सीट तक नहीं बचा सके थे. ऐसे में अब उन्होंने यूपी में बीजेपी की मौजूदा स्थिति पर कार्यकर्ताओं को नसीहत दी है कि किस तरह से सभी समीकरणों को साधना है. पार्टी को अतिउत्साह दिखाने से बचना चाहिए.

एंटी इनकंबेंसी से कैसे निपटेगी बीजेपी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से ही बीजेपी के ऐसे चेहरे हैं जिस पर बीजेपी की पूरी राजनीति टिकी हुई है. चुनाव कहीं भी चेहरा सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं. ऐसे में एक चुनौती यह भी है कि मोदी विरोधी लहर के जवाब में बीजेपी कैसी रणनीति तैयार करती है. बीजेपी के पास 8 साल की सत्ता है. कांग्रेस ठीक पहले 10 साल सत्ता संभाल चुकी है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी के 8 साल बनाम कांग्रेस के 10 सालों की तुलना के जरिए बीजेपी अपनी राह आसान करने वाली है.

किन उपलब्धियों के सहारे आगे बढ़ेगी बीजेपी?

बीजेपी कश्मीर, राम मंदिर, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के मॉडल पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी इन्हीं मुद्दों को जनता तक ले जाने में जोर दे रही है. भारत की सैन्य क्षमताओं का जिक्र भी पार्टी लगातार कर रही है. यूपी के कैबिनेट मंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक, सभी बीजेपी की नीतियों को लेकर मंथन कर रहे हैं. पार्टी अपने संगठन को संभालने की कोशिशों में जुटी हुई है.

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स्थानीय स्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे प्रशिक्षण शिविर

बीजेपी स्थानीय स्तर पर भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगी. जिला और ब्लॉक स्तर पर भी रणनीति तैयार की जाएगी जिससे पार्टी का ढांचा मजबूत हो सके. बीजेपी के मंत्री और दिग्गज नेता आने वाले दिनों में यूपी में खासा सक्रिय होने वाले हैं. भले ही बसपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों का हाल यूपी में बेहद बुरा हो लेकिन सपा की लगातार बढ़ रही चुनौती और मजबूत जातीय गठजोड़ ने बीजेपी की चिंता बढ़ाई है. मिशन 2024 को पार पाने के लिए बीजेपी इन्हीं समीकरणों को सुधारने पर जोर दे रही है.

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