डीएनए हिंदी: देश में अगर कोई राजनीतिक पार्टी चुनावों के 2 साल पहले से ही चुनावी मोड में आ जाती है तो वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में होने वाले हैं लेकिन बीजेपी अलग-अलग राज्यों के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है. ऐसी मान्यता रही है कि दिल्ली की कुर्सी हासिल करने का अध्यादेश उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की जनता देती है. इसी यूपी को साधने की कोशिश में बीजेपी जुट गई है. पहले जहां यह कहा जाता है कि 2013 के बाद से ही सारे जातीय समीकरण मोदी मैजिक के आगे ध्वस्त हो जाते हैं, अब यही बीजेपी जातीय समीकरणों के सहारे भी सत्ता में कायम रहने का प्लान तैयार कर रही है.
भगवान राम और हिंदुत्व की राजनीति पर चलने वाली बीजेपी, अब ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिए परशुराम को भी साथ लेकर चल रही है. अब परशुराम पर भी जमकर सियासत हो सकती है. इसके लिए बीजेपी ने पूरा प्लान भी तैयार किया है.
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परशुराम जन्मस्थली के तौर पर विकसित होगा जलालाबाद?
भारतीय जनता पार्टी, जलालाबाद को परशुराम के जन्मस्थान के तौर पर विकसित करना चाहती है. बीजेपी का प्लान यह भी है कि अगर यह स्थल तैयार हो जाता है तब 5 धार्मिक स्थलों को कनेक्ट कर स्पेशल कवर कर, एक धार्मिक पर्यटन सर्किट तैयार किया जाएगा.
क्यों परशुराम को भज रही है BJP?
परशुराम को ब्राह्मण समाज अपने प्रतिनिधि देव के तौर पर पूजता है. उन्हें क्षत्रिय विनाशक के तौर पर चित्रित किया जाता है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि परशुराम ने 36 बार क्षत्रियों का धरती से संहार कर दिया था. अगर राजनीतिक तौर पर देखें तो हाल के दिनों में बीजेपी पर ठप्पा लगा है कि यह पार्टी 'ठाकुरों की पार्टी' हो गई है, दूसरी सवर्ण जातियों की अनदेखी की जा रही है. हालांकि अगर मंत्रिमंडल के आंकड़ों को देखें तो सबको प्रतिनिधित्व मिला है लेकिन जमकर सोशल इंजीनियरिंग की गई है.
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ठाकुरों की पार्टी का ठप्पा, क्या परशुराम भजने से मिटेगा?
बीजेपी पर क्षत्रियों की पार्टी होने का ठप्पा लगने की कई वजहें भी हैं. दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, खुद इसी वर्ग से आते हैं. उनके कई करीबी ऊंचा रसूख रखते हैं. हालांकि वह ऐसे सभी आरोपों से इनकार करते हैं. विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने ब्राह्मण-यादव एकता साधने के लिए परशुराम का पूजन भी किया था लेकिन मोदी-योगी मैजिक के सामने सारे समीकरण ध्वस्त हो गए थे. अखिलेश यादव ने बीजेपी के नाश के लिए फरसा भी उठा लिया था लेकिन जनता ने उनके इस सियासी प्रयोग को पूरी तरह से खारिज कर दिया था.
दो मंत्रालय मिलकर संभालेंगे कार्यभार!
जतिन प्रसाद योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्रालय संभाल रहे हैं. वह भी ब्राह्मण समाज से आते हैं. लोक निर्माण विभाग और संस्कृति पर्यटन मंत्रालय मिलकर एक नई परियोजना शुरू करने वाली है. इस परियोजना के जरिए जलालाबाद से लेकर सीतापुर में नैमिषारण्य, मिश्रिख तीर्थ, महर्षि दधीचि आश्रम, लखीमपुर खीरी में गोला गोकर नाथ और पीलीभीत के मधोताना क्षेत्र को कनेक्ट किया जाएगा. परशुराम सर्किट के जरिए तीर्थाटन को बढ़ावा देने की योजना तैयार की जा रही है. इन सारी जगहों से रोड कनेक्टिविटी बेहद शानदार है. ऐसे में इस परियोजना को लोग पसंद भी कर सकते हैं.
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यूपी में कितना असरदार है ब्राह्मण वोटबैंक?
उत्तर प्रदेश में करीब 8 से 10 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं लेकिन इस वर्ग का असर दूसरे वर्गों पर भी है. ऐसे में हर राजनीतिक दल की कोशिश रहती है कि किसी भी तरह से इस वर्ग को लुभाया जाए. इस वर्ग की नाराजगी मोल लेने का खतरा मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ मुखर होकर खड़ी पार्टियां भी नहीं कर पाती हैं. समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टियां भी परशुराम के जरिए ब्राह्मण वोटरों को लुभाने की कोशिश करती रही है.
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