Assembly Elections 2023: पूर्वोत्तर में कैसे बढ़ी BJP की ताकत, क्यों अजेय हो रहा गठबंधन, हाशिए पर कैसे पहुंची कांग्रेस?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Mar 03, 2023, 09:20 AM IST

जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह. (तस्वीर- Twitter/BJP)

पूर्वोत्तर का मिजाज बदल रहा है. विधानसभा चुनावों में लेफ्ट और कांग्रेस जैसी पार्टियों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. बीजेपी लगातार उभर रही है.

डीएनए हिंदी: त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन की सरकार बन रही है. त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी गठबंधन के पास बहुमत है, वहीं मेघालय में बीजेपी ने एनपीपी को समर्थन देने का फैसला किया है.  चुनाव के नतीजे साफ कह रहे हैं कि पूर्वोत्तर से कांग्रेस का सफाया हो गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रदर्शन पर बधाई देने के लिए संबोधित किया. मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के लोगों को धन्यवाद देते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव परिणाम दुनिया को दिखाते हैं कि देश के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों में लोगों का विश्वास है.उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के नतीजे दिखाते हैं कि यह क्षेत्र न तो दिल्ली से दूर है, न ही दिल से. आइए जानते हैं कि कैसे बीजेपी कांग्रेस और लेफ्ट पर भारी पड़ गई.

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सच हो रहा 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान

एक तरफ जहां नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी का उदय हुआ है वहीं कांग्रेस के सितारे डूब रहे हैं. इन नतीजों से पता चलता है कि जहां कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं. देश के दूसरे हिस्सों में भी कांग्रेस संघर्ष कर रही है, वहीं नॉर्थ ईस्ट से दिग्गज पार्टी का सफाया हो गया है. वामदलों के लिए भी वहां के नतीजे ठीक नहीं रहे हैं. बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा नॉर्थ ईस्ट में हकीकत बन गया है.

मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में कैसा रहा कांग्रेस का हाल?

मेघालय में 2018 के चुनाव में 21 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार महज 5 सीटों पर सिमट गई है. त्रिपुरा में कांग्रेस को अपना वजूद बचाने के लिए लेफ्ट से हाथ मिलाना पड़ा था लेकिन इसके बावजूद उसे सिर्फ तीन सीटें ही मिल सकीं. नागालैंड में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.

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सत्ता से हाशिए पर पहुंच गई कांग्रेस

2008 से 2013 के बीच पूर्वोत्तर के 8 राज्यों पर कांग्रेस और स्थानीय पार्टियों का कब्जा था. साल 2014 तक पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकारें चल रही थीं. लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे पूरे नॉर्थ ईस्ट से कांग्रेस का सफाया हो गया और अब वह एक सीट के लिए भी तरस रही है.

क्यों हाशिए पर जा रही है कांग्रेस?

कांग्रेस पूर्वोत्तर में पूरी ताकत से चुनाव ही नहीं लड़ी. न ही राहुल गांधी ने युद्धस्तर पर रैलियां कीं. बीजेपी ने एक-एक सीट के लिए अपना दमखम झोंक दिया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी कमान संभाल ली थी. कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर ध्यान ही नहीं दिया. कांग्रेस हिंदी हार्टलैंड में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, इस वजह से पूर्वोत्तर के राज्य एक बाद एक छूटते चले जा रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी जैसे नेताओं ने भी तीनों राज्यों में बहुत एक्टिव कैंपेनिंग नहीं की हैं.

कहां किस पार्टी को मिली कितनी सीटें?

नगालैंड में बीजेपी गठबंधन 37 सीटें हासिल कर चुका है. कांग्रेस शून्य पर है. एनपीएफ के खाते में 2 सीटें आई हैं. एनसीपी ने 7 सीटें हासिल की हैं. अन्य के खाते में 14 सीटें हैं. त्रिपुरा में बीजेपी ने 33 सीटें हासिल की हैं. लेफ्ट गठबंधन की 14 सीटें हैं. टिपरा को कुल 13 सीटें मिली हैं. 

मेघालय में बीजेपी के पास महज 2 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 5 सीटें हैं.  एनपीपी के पास 26 सीटे हैं. टीएमसी के पास 5 सीटें हैं. अन्य के पास 21 सीटे हैं. 2 सीटों के बाद भी बीजेपी गठबंधन सत्ता में आने जा रहा है.

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