संदेशखाली मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार सत्ताधारी टीएमसी सरकार पर हमलावर है. वह इस मुद्दे पर कोलकाता के मैदान में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन करना चाहती है. इसके लिए बीजेपी ने हाईकोर्ट से अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने मंगलवार को बीजेपी को इजाजत दे दी. हालांकि, कोर्ट ने एक शर्त भी लगाई है. कोर्ट ने कहा कि इस प्रदर्शन में 150 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए.
जस्टिस कौशिक चंदा ने कोलकाता के मैदान क्षेत्र में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देते हुए प्रदर्शन के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया. यह कार्यक्रम 28 और 29 फरवरी को सुबह 10 बजे से शाम 6 छह बजे के बीच आयोजित किया जाएगा.
बीजेपी ने कहा कि वह उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में कुछ स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं के कथित अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करेगी. कोलकाता पुलिस ने विद्यालयों में चल रही माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षाओं के कारण लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए बीजेपी को विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद बीजेपी ने हाईकोर्ट का रुख किया और प्रदर्शन की अनुमति के लिए पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था.
बंगाल सरकार कर रही कार्रवाई
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार संदेशखाली में यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपों पर कार्रवाई कर रही है. टीएससी के नेताओं ने भाजपा नेता एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पर निशाना साधा और इस मामले में कार्रवाई की मांग करने वाले उनके पत्र को एक नौटंकी करार दिया.
तृणमूल नेता सुष्मिता देव, सागरिका घोष और साकेत गोखले ने बीजेपी पर इस मुद्दे पर राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य कार्रवाई कर रहा है और मुख्य आरोपी शाहजहां शेख को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा. संदेशखाली मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा पश्चिम बंगाल की समकक्ष ममता बनर्जी को लिखे पत्र के बारे में पूछे जाने पर देव ने कहा कि साय को अपने राज्य छत्तीसगढ़ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
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