घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के एक मामले में एक शख्स पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. ये पैसे इस शख्स की पत्नी को दिए जाएंगे. इसके अलावा, हर महीने डेढ़ लाख रुपये का मासिक गुजारा भत्ता भी देना होगा. महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनका पति उन्हें प्रताड़ित किया और 'Second Hand' कहकर अपमानित भी किया. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा है कि यह जुर्माना न सिर्फ शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में भी लगाया गया है.
अमेरिका में रहने वाले इस शख्स ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें 3 करोड़ रुपये मुआवजा देने को कहा गया था. हाई कोर्ट ने कहा है कि हनीमून पर महिला से मारपीट करना और उसे 'सेकेंड हैंड' कहना उनके आत्मसम्मान को प्रभावित करता है.
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क्यों कहा था सेकेंड हैंड?
दरअसल, ये पति-पत्नी अमेरिका में रहते थे. 3 जनवरी 1994 को मुंबई में हुई थी. इन दोनों ने अमेरिका में भी शादी की थी लेकिन 2005-2006 में ये मुंबई में रहने लगे. 2014-15 में पति वापस अमेरिका चला गया और 2017 में वहां की कोर्ट में तलाक का केस करके पत्नी को समन भेज दिया. 2018 में अमेरिका की एक अदालत ने तलाक को मंजूरी दे दी.
महिला का आरोप था कि नेपाल में जब दोनों हनीमून के लिए गए थे तब उसके पति ने उसे 'सेकेंड हैंड' कहकर संबोधित किया. ऐसा करने की वजह यह थी कि महिला की पिछली सगाई टूट गई थी. इतना ही नहीं महिला के पति ने अन्य पुरुषों के साथ अवैध संबंध होने के आरोप भी लगाए. साथ ही, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया.
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हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
इसी मामले में महिला ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट में केस दायर किया था. 2017 में मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने माना थी कि महिला के साथ घरेलू हिंसा हुई है. इसी के चलते उनके अलग से रहने के लिए गुजारा राशि देने और 3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था. महिला के पति ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
जस्टिस शर्मिला देशमुख ने घरेलू हिंसा मामले में अपने 22 मार्च के आदेश में कहा कि यह राशि महिला को न केवल शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में दी गई है. जुलाई 2017 में महिला ने 'मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट' की अदालत के समक्ष घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने पति के खिलाफ मामला दायर किया था.
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