डीएनए हिंदी: मुंबई पर जब आतंकी हमला हुआ था तो अजमल कसाब समेत तमाम आतंकी पानी के रास्ते भारत में घुसे थे. ये लोग एक नाव से 'हरामी नाले' के रास्ते भारत की सीमा में दाखिल हुए थे. 26 नवंबर 2008 को हुई इस घटना के लगभग 15 साल बाद अब इस हरामी नाले की सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है. वहां एक सिक्योरिटी टावर लगाया गया है ताकि निगरानी रखी जा सके. वहां सुरक्षा के इंतजाम देखने खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे. उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी कि BSF ने इस नाले की सुरक्षा बढ़ा दी है और 24 घंटे अब इस पर निगरानी रखी जा रही है.
गुजरात के समुद्री तट पर मौजूद इस हरामी नाले से अब कोई भी दुश्मन घुसपैठ नहीं कर सकेगा. यहां बनाए गए 'ओ पी टावर' की मदद से ऐसी घुसपैठों को रोका जाएगा और इस रास्ते पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी. अमति शाह ने शनिवार को भुज के कोटेश्वर तट पर मुरिंग प्लेस का भूमि पूजन और शिलान्यास किया. उन्होंने बीएसएफ के जवानों की तारीफ करते हुए कहा कि हम समझते हैं कि आप किन दुर्लभ और कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं.
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हरामी नाला क्यों पड़ गया नाम?
राजस्थान, गुजरात और पाकिस्तान की सीमा से लगने वाला यह इलाका समुद्री तट पर मौजूद है. हरामी नाला ही कच्छ में भारत और पाकिस्तान की सीमाओं को अलग करता है. 22 किलोमीटर इस इलाके में समुद्री तल काफी दलदली है. यहां मौसम के हिसाब से पानी का स्तर कम और ज्यादा होता रहता है. अमित शाह ने अपने ट्वीट में बताया कि अपने चरित्र और प्रकृति की वजह से ही इस नाले का ऐसा नाम पड़ा है.
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लंबे समय से आतंकियों और गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए यह रास्ता सबसे आसान रहा है. इसी के रास्ते पाकिस्तानी आतंकी और जासूस घुसपैठ करते थे. अजमल कसाब और उसके साथी भी इसी रास्ते से भारत आए थे. यही वजह है कि अब इस इलाके की सुरक्षा बढ़ाई गई है और यहां 24 घंटे निगरानी रखने का इंतजाम किया गया है.
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