क्रीमीलेयर आरक्षण पर सियासत तेज, मायावती ने पक्ष-विपक्ष दोनों को घेरा, कही ये बात

सुमित तिवारी | Updated:Aug 10, 2024, 04:05 PM IST

अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने पर सियासत तेज होती जा रही है. इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोदी सरकार के साथ-साथ राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर निशाना साधा है.

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने को कहा है. इसको लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस वार्ता की है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को अपनी बात रखते हुए राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर हमला बोला है. लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में मायावती ने केंद्र सरकार को भी आढ़े हाथो लिया है. 

मायावती ने कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने आश्‍वासन दिया है लेकिन केवल इससे काम नहीं चलने वाला है. एससी-एसटी में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि बाकी जो पार्टियां चुप हैं उन्हें इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. उनका कहना है कि संविधान की रक्षा करने वाले इस पर चुप क्यों बैठे हैं.  

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण के उप वर्गीकरण को लेकर जहां सभी राजनीतिक दल चुप्पी साधें हुए हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने साभी राजनीति दलों के साथ पीएम मोदी को भी निशाने पर रखा है. मायावती ने कहा, 'क्रीमीलेयर को लेकर इसी सत्र में संविधान संशोधन न लाकर सत्र को स्थगित करना एक सोची समझी साजिश है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब बना रहेगा. पीएम मोदी ने अभी तक आधिकारिक तौर और किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया है.'


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बसपा मुखिया मायावती ने आगे कहा 'कि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संसद में बिल लाना चाहिए. बीजेपी और कांग्रेस आरक्षण के खिलाफ है. इनकी सरकारों में नौकरियों को खत्‍म कर संविदा पर तैनाती आरक्षण खत्‍म करने की ही कोशिश है. क्रीमीलेयर के बहाने आरक्षण खत्‍म करने की कोशिश की जा रही है. संसद का सत्र खत्‍म हो गया लेकिन इस सबंध में विधेयक नहीं लाया गया.'

BSP प्रमुख मायावती ने बिना किसी का नाम लेते हुए राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा है. उन्‍होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में संविधान बचाने का नाटक करने वाले लोग अब एससी-एसटी क्रीमीलेयर के आरक्षण मामले में कुछ क्‍यों नहीं बोल रहे हैं. उनका कहना है कि 'केंद्र सरकार को आगे आकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मोदी सरकार ने अपना मजबूत पक्ष नहीं रखा है.'

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