राजधानी दिल्ली ऐतिहासिक इमारतों की नगरी है. इन एतिहासिक इमारतों की देख-रेख पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है और इन्हें संरक्षित किया गया है. इन इमारतों के आसपास 50 मीटर तक किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं होती है. अगर विशेष परिस्थितियों में निर्माण की जरूरत हो भी तो उसके लिए पुरातत्व विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है. अब दिल्ली के बाराखंभा मकबरा और निजामुद्दीन की बावली के पास एक इमारत बना दिए जाने का मामला सामने आया है. इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई है. साथ ही, सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर इतनी बड़ी इमारत कैसे खड़ी हो गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन ऐतिहासिक इमारतों के पास बनी एक इमारत को सील किया जा चुका है. अब इसी इमारत में निर्माण कार्य करने का मामला सामने आया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने हैरानी जताई है कि आखिर शहर के बीचोबीच पांच मंजिला के बराबर अवैध इमारत खड़ी हो गई और अधिकारी इसे रोक क्यों नहीं पाए?
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हाई कोर्ट ने MCD और DDA को लगाई फटकार
कोर्ट ने अब इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण के कामकाज में सुधार लाने पर बल देते हुए कहा है कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण से निपटने के लिए नए तरीके ईजाद किए जाएं.
हाई कोर्ट ने इस केस में सख्ती दिखाते हुए एमसीडी और डीडीए को जमकर फटकार भी लगाई है. जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी की ओर से ASI और डीडीए के अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
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इस याचिका में कहा गया था कि ASI की ओर संरक्षित इमारतों से कुछ मीटर दूरी पर ही एक अवैध गेस्ट हाउस बना दिया गया. इस पर एमसीडी ने कहा कि जो गेस्ट हाउस बना है वह डीडीए की जमीन पर है. इस पर डीडीए का कहना था कि नियमों को लागू करना और अवैध अतिक्रमण हटाना एमसीडी का काम है.
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