लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) का नोटिफिकेशन (CAA notification) जारी कर दिया है. इससे भारत के तीन पड़ोसी मुल्कों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी. इसमें मुस्लिम शामिल नहीं होंगे. मोदी सरकार ने पांच साल पहले इस कानून को पास कराया था लेकिन अभी तक लागू नहीं किया गया था.
किन लोगों को मिलेगी नागरिकता?
सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है. अब CAA के नियम जारी हो जाने के बाद मोदी सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी.
सीएए को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी था.
यह भी पढ़ें- दिल्ली का जाम होगा छूमंतर, समझें देश के पहले एलिवेटेड एक्सप्रेसवे की ABCD
नागरिकता के लिए करना होगा ये काम
केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार किया है जिसमें पड़ोसी देसों से आने वाले अल्पसंख्यकों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें भारतीय कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी.
ममता बनर्जी बोलीं 'बर्दाश्त नहीं करूंगी'
CAA का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि हमें अभी तक अधिसूचना नहीं मिली है. सीएए का नोटिफिकेशन देखने के बाद मैं मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगी. अगर CAA दिखाकर किसी की नागरिकता समाप्त की गई तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सीएए लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी.
सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं. बनर्जी ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे.
देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.