'राज्यपाल के खिलाफ न करें अपमानजनक टिप्पणी', CM ममता बनर्जी को कलकत्ता HC की दो टूक

रईश खान | Updated:Jul 16, 2024, 10:44 PM IST

CM Mamta Banerjee

हाईकोर्ट ने सीएम ममता बनर्जी और तीन अन्य को 2 सप्ताह के अंदर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर राज्यपाल द्वारा इसका जवाब देने का निर्देश दिया.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तीन अन्य को 14 अगस्त तक राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत टिप्पणी नहीं करने का आदेश दिया. जस्टिस कृष्ण राव ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि मामले में सुनवाई 14 अगस्त को की जाएगी. कोर्ट के इस आदेश का राज्यपाल ने स्वागत किया और कहा कि वह ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि ममता को सही राह दिखाएं.

राज्यपाल ने सीएम ममता बनर्जी और टीएमसी के 2 विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. सायंतिका और रेयात हुसैन के शपथ ग्रहण को लेकर गतिरोध पर ममता बनर्जी ने कुछ टिप्पणियां की थीं जिसके चलते राज्यपाल ने हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. बोस ने राजभवन की कथित घटनाओं के संबंध में उन्हें आगे कोई भी टिप्पणी करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश का भी अनुरोध किया था.

पिछले महीने तृणमूल के 2 नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह स्थल को लेकर विवाद शुरू हो गया था, क्योंकि वे विधानसभा में शपथ लेना चाहते थे, जबकि राज्यपाल राजभवन में शपथ दिलाने के पक्ष में थे. ममता के वकील संजय बसु ने एक बयान में कहा कि अदालत के आदेश को बृहद पीठ के समक्ष चुनौती दी जाएगी. 


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14 अगस्त तक बयानबाजी पर लगाई रोक
जस्टिस कृष्ण राव ने ममता और तीन अन्य को 14 अगस्त, 2024 तक प्रकाशन और सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से राज्यपाल बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान नहीं देने को कहा है.

अदालत ने ममता और तीन अन्य को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर बोस द्वारा इसका जवाब देने का निर्देश दिया. ममता के वकील एसएन मुखर्जी ने सोमवार को अदालत को बताया था कि वह अपने बयान पर कायम हैं, क्योंकि यह जनहित से जुड़ा मामला है. अंतरिम आदेश के लिए अनुरोध पर सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई और अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था.

जस्टिस राव ने आदेश में कहा, ‘अगर अभी अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, तो इससे प्रतिवादियों को वादी के खिलाफ अपमानजनक बयान जारी रखने और वादी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की खुली छूट मिल जाएगी.’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक प्राधिकारी होने के नाते सोशल मीडिया मंच का लाभ उठाकर प्रतिवादियों द्वारा उनके खिलाफ किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का सामना नहीं कर सकते.’ (इनपुट- PTI)

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