दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया. दिल्ली आबकारी नीति में गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया केजरीवा से पहले उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी इसी केस में गिरफ्तार किया गया है. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सवाल उठ रहे हैं कि उनकी गैरमौजूदगी में सरकार कौन चलाएगा? नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भी चर्चाएं हो रही है. इस बीच आम आदमी पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे और वह जेल से ही सरकार चलाते रहेंगे.
आम आदमी पार्टी ने रात में ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां तत्काल सुनवाई नहीं हो पाई. आज ईडी की टीम अरविंद केजरीवाल को PMLA कोर्ट में पेश करेगी. गुरुवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. अब अहम सवाल यही है कि अगर अरविंद केजरीवाल भी लंबे समय तक सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया की तरह जेल में रहते हैं तो मुख्यमंत्री कौन होगा या फिर सरकार कैसे चलेगी?
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क्या जेल से सरकार चला सकते हैं केजरीवाल?
नियमों के मुताबिक, गिरफ्तार होने वाले किसी भी नेता या पदाधिकारी को अपने पद से इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है. जब तक दोष साबित न हो जाए वह अपने पद पर बने रह सकते हैं. ठीक इसी तरह अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गिरफ्तार किया जाता तो उसका इस्तीफा देना जरूर नहीं है. सरकार चलाने में सुविधा को ध्यान में रखते हुए नेता अपने-आप ही इस्तीफा दे देते हैं. उदाहरण के लिए हाल ही में गिरफ्तार किए गए हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से ठीक पहले मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
वहीं, दिल्ली सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में रहने के बावजूद काफी समय तक मंत्री पद पर रहे थे. आखिर में उन दोनों ने इस्तीफा दे दिया और उन्हीं की जगह पर सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री बनाया गया. केजरीवाल के मामले में समस्या यह आ सकती है कि जेल प्रशासन किन चीजों के लिए अनुमति देता है और किस काम के लिए नहीं.
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जेल से मीटिंग लेंगे केजरीवाल?
जेल प्रशासन की अनुमति के बाद अरविंद केजरीवाल जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैबिनेट मीटिंग ले सकते हैं और वहीं से फैसले भी ले सकते हैं. अगर मंत्री जेल में उनसे मिलना चाहें तो इसके लिए भी जेल प्रशासन की अनुमति लेनी होगी.
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