शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह की हत्या में KLF का हाथ, NIA ने सुप्रीम कोर्ट में किया खुलासा

Written By रईश खान | Updated: Oct 16, 2024, 05:55 PM IST

Khalistani

NIA ने कहा कि ​​सनी टोरंटो और KLF चीफ लखबीर सिंह रोडे ने भारत में खालिस्तानी विरोधी संस्थाओं को खत्म करने की साजिश इसलिए रची क्योंकि वो खालिस्तानी आंदोलन को फिर से जीवित करना चाहते थे.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब में शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता शिक्षक बलविंदर सिंह संधू की हत्या में आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) का हाथ था. खालिस्तानी संगठन ने उनकी हत्या की साजिश रची थी. यह घटना उस समय हुई जब खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा और भारत के बीच संबंध खराब चल रहे थे.

बलविंदर सिंह संधू की अक्टूबर 2020 में पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. संधू अपने घर से बाहर निकले ही थे कि अज्ञात बाइक सवार बदमशों ने उनपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. बलविंदर सिंह संधू को 1990 के दशक में राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. इस मामले में पंजाब पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

KLF ने क्यों रची थी साजिश?
एनआईए ने 111 पन्नों के हलफनामे में कहा कि गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें कनाडा में रहने वाले खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के ऑपरेटिव सुखमीत पाल सिंह उर्फ ​​सनी टोरंटो और मृतक खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे लखबीर सिंह रोडे ने अपराध करने का काम सौंपा था. दोनों को NIA की चार्जशीट में आरोपी के रूप में नामित किया गया है. साथ ही उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है.

NIA ने कहा कि ​​सनी टोरंटो और KLF चीफ लखबीर सिंह रोडे ने भारत में खालिस्तानी विरोधी संस्थाओं को खत्म करने की साजिश इसलिए रची क्योंकि वो खालिस्तानी आंदोलन को फिर से जीवित करना चाहते थे. केएलएफ का मानना है कि खालिस्तानियों का विरोध करने वालों को निशाना बनाएंगे तो अलगाववादी आंदोलन पुनर्जीवित हो जाएगा.

इसी वजह से उन्होंने बलविंदर सिंह संधू को हटाने का फैसला किया. संधू खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ पुरजोर तरीके से अपनी आवाज उठा रहे थे. इसी वजह से उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया गया था. सनी टोरंटो और लखबीर सिंह ने संधू की हत्या के लिए पंजाब के कट्टरपंथी युवाओं जैसे इंद्रजीत सिंह उर्फ ​​इंदर से भी संपर्क किया था.

एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिस्टिर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं. इसके बाद जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने आरोपी नवप्रीत सिंह और हरबिंदर सिंह पिंडर की जमानत याचिका खारिज कर दी.

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