डीएनए हिंदी: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ एक और केस दर्ज कर लिया है. सीबीआई ने आधिकारिक पद के कथित दुरुपयोग और 'राजनीतिक जासूसी' के लिए दिल्ली की फीडबैक इकाई का इस्तेमाल करने के मामले में सिसोदिया और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. सिसोदिया को पहले सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने आज उनकी हिरासत को बढ़ाते हुए 22 मार्च तक ईडी कस्टडी में भेज दिया.
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था और अभी वह जेल में हैं. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने सिसोदिया और पांच अन्य के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी और भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक नया मामला दर्ज किया.
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इन अधिकारियों के खिलाफ FIR
CBI ने सिसोदिया के अलावा 1992 बैच के आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी सुकेश कुमार जैन (जो उस समय सतर्कता सचिव थे), सेवानिवृत्त केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) राकेश कुमार सिन्हा के खिलाफ मामला दर्ज किया है. राकेश सिन्हा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सलाहकार और एफबीयू में संयुक्त निदेशक के रूप में काम कर रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि इनके अलावा खुफिया ब्यूरो के पूर्व संयुक्त उप निदेशक प्रदीप कुमार पुंज (जो फीडबैक इकाई के उप निदेशक के रूप में कार्यरत थे) सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट सतीश खेत्रपाल (जो फीडबैक अधिकारी के रूप में कार्यरत थे) और गोपाल मोहन (केजरीवाल के भ्रष्टाचार रोधी सलाहकार) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
फीडबैक इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव
एजेंसी ने सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 403, 409, 468, 471, 477ए के अलावा भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. बताया जा रहा है कि सीबीआई ने मंगलवार को ही FIR दर्ज कर ली थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री की योजना मनीष के खिलाफ कई झूठे मामले चलाने और उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखने की है. सीबीआई के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी और कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और किसी को फंसाने की मंशा से 2015 में फीडबैक इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था.
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एजेंसी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2016 में गोपनीय सेवाओं पर होने वाले खर्च के मद से एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई. एजेंसी के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में मंत्रिमंडल की एक बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इसका मकसद उसमें स्पष्ट नहीं किया गया. फीडबैक इकाई में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक खुलासे पर जांच शुरू की. सतर्कता विभाग ने फीडबैक इकाई में अनियमितताओं का पता लगाया था.
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