डीएनए हिंदी: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 144.33 करोड़ रुपये के कथित अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप घोटाले के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की है. आरोपों में आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करना शामिल है. जांच में सामने आया है कि 2017-18 से 2021-22 तक हुए इस घोटाले की राशि 144.33 करोड़ रुपये थी और इसमें 830 संस्थान शामिल थे, जहां जांच के दौरान फर्जी लाभार्थियों की पहचान की गई थी.
इस साल जुलाई में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मुद्दे पर एजेंसी का ध्यान आकर्षित किया था, जिसके बाद सीबीआई को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से इस संबंध में शिकायत मिली थी. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने6 अल्पसंख्यक समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी के छात्रों के लिए तीन स्कॉलरशिप योजनाएं प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और योग्यता-सह-साधन लागू की हैं.
65 लाख छात्रों को दी गई स्कॉलरशिप
यह स्कॉलरशिप 1.8 लाख से अधिक संस्थानों में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक छात्रों को प्रदान की जाती हैं. 2021-22 में समाप्त होने वाले पिछले पांच साल में औसतन 65 लाख छात्रों को सालाना छात्रवृत्ति मिली. मंत्रालय की योजनाएं केंद्र क्षेत्र योजना (CSS) का हिस्सा हैं, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ ट्रांसफर (डीबीटी) मोड के माध्यम से सीधे छात्रों को 100 प्रतिशत धनराशि वितरित की जाती है.
21 राज्यों के 830 संस्थानों पर कसेगा शिकंजा
मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, 'स्कॉलरशिप स्कीम के तहत धन के गबन की विभिन्न रिपोर्टों पर विचार करते हुए मंत्रालय ने योजनाओं के तीसरे पक्ष के मूल्यांकन का संचालन करने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को नियुक्त किया. इसके अलावा मंत्रालय ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से मूल्यांकन किया, जिसका मकसद था संदिग्ध संस्थानों और उनके आवेदकों को चिन्हित करना. एनएसपी पर उत्पन्न चेतावनी के आधार पर मूल्यांकन के लिए कुल 1,572 संस्थानों का चयन किया गया था. इनमें से 21 राज्यों में 830 संस्थान या तो गैर-परिचालन, नकली या आंशिक रूप से नकली पाए गए.'
मंत्रालय ने पहचाने गए फर्जी संस्थानों के लिए 2017-18 से 2021-22 तक वित्तीय प्रभाव की गणना करके सरकारी खजाने को होने वाले अनुमानित नुकसान का अनुमान लगाया. इन 830 संस्थानों के लिए अनुमानित नुकसान 144.33 करोड़ रुपये था. पत्र में कहा गया कि नुकसान की गणना केवल उस अवधि के लिए की जा सकती है, जिसके दौरान मंत्रालय के पास राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर स्वच्छ डिजीटल डेटा था. इन संस्थानों के आवेदकों को 2017-18 से पहले के वर्षों के लिए भी छात्रवृत्ति प्राप्त हुई होगी.
मंत्रालय ने CBI को सौंपे दस्तावेज
मंत्रालय ने मामले से जुड़े कई दस्तावेज सीबीआई को सौंपे हैं. पहला दस्तावेज़ एक स्व-निहित नोट था जिसमें 830 संस्थानों के खिलाफ निष्कर्षों का विवरण दिया गया था, जिसमें बेईमान तत्वों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली और वर्ष 2017-18 से 2021-22 के लिए 144.33 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान का विवरण शामिल था. दूसरा दस्तावेज़ एनसीएईआर के निगरानी और मूल्यांकन अध्ययन की एक रिपोर्ट थी. तीसरे दस्तावेज़ में आवेदन विवरण और संस्थान और जिला स्तर पर आवेदनों को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के बारे में जानकारी के साथ 830 संस्थानों की एक सूची थी. चौथे दस्तावेज में छात्रवृत्ति अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की एक प्रति शामिल थी.
जानकारी के मुताबिक, 1572 संस्थानों के डेटा के मूल्यांकन से लगभग 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मंत्रालय ने 1.80 लाख से अधिक संस्थानों के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की है, जो दर्शाता है कि सरकार को वास्तविक नुकसान बहुत अधिक हो सकता है. संस्थानों, आवेदकों, संस्थान के नोडल अधिकारियों, जिला नोडल अधिकारियों और बैंक अधिकारियों के बीच मिलीभगत के बिना इस स्तर की धोखाधड़ी संभव नहीं होती, क्योंकि छात्रवृत्ति राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है. प्रमुख जांच एजेंसी द्वारा एक व्यापक जांच की गई है पत्र में कहा गया है कि सभी शामिल संस्थानों और व्यक्तियों की जांच करना आवश्यक है, जिन्होंने धोखाधड़ी से छात्रवृत्ति का दावा किया है. (PTI इनपुट)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.