सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) केंद्र सरकार के नियंत्रण में काम करती है. सर्वोच्च अदालत का यह निर्णय तब आया जब उसने पश्चिम बंगाल में सहमति वापस लिए जाने के बाद भी CBI के तफ्तीश करने का विरोध करते हुए राज्य द्वारा दायर मुकदमे की विचारणीयता पर केंद्र की आपत्ति को खारिज कर दिया. ममता सरकार ने सीबीआई को 16 नवंबर, 2018 को राज्य में मामलों की जांच करने या छापे मारने के लिए दी गई अनुमति को वापस ले लिया था.
सु्प्रीम कोर्ट ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 के अनेक प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम यह भी पाते हैं कि स्थापना, शक्तियों का प्रयोग, अधिकार क्षेत्र का विस्तार, डीएसपीई का नियंत्रण, सब कुछ भारत सरकार के पास है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि मुकदमा विचारणीय है.
पीठ ने कहा कि हमारे विचार से सीबीआई एक शाखा या अंग है जिसकी स्थापना DSPE कानून द्वारा लागू वैधानिक योजना के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा की गई और वह भारत सरकार के अधीन है.’ इसमें कहा गया है कि पूरी योजना के अवलोकन से पता चलेगा कि विशेष पुलिस बल, जिसे डीएसपीई कहा जाता है के गठन से लेकर उन अपराधों या अपराधों की श्रेणियों को निर्दिष्ट करने वाली अधिसूचनाएं जारी करना जिनकी जांच इसके द्वारा की जानी है.
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पीठ ने अपने 74 पन्नों के फैसले में कहा, ‘इतना ही नहीं जिन अपराधों को केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करती है. उनमें ही डीएसपीई द्वारा जांच की जा सकती है. इसमें कहा गया है कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 4 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों को छोड़कर जिसमें अधीक्षण केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास होगा. अन्य सभी मामलों में डीएसपीई का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास होगा.
कोर्ट ने सीबीआई पर केंद्र सरकार का कोई अधीक्षण या नियंत्रण नहीं होने के संबंध में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर विचार किया. अगर डीएसपीई के सदस्यों की शक्तियां और अधिकार क्षेत्र किसी राज्य, जो केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो, में रेलवे के क्षेत्रों समेत किसी क्षेत्र में बढ़ाने हैं तो ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक केंद्र सरकार इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं करती. (इनपुट- PTI)
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