केंद्र सरकार ने विवादास्पद IAS प्रोबेशनर पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से मुक्त कर दिया है. केंद्र सरकार ने ये फैसला संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से उनकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द करने के कुछ सप्ताह बाद लिया है. जानकारी के अनुसार, खेडकर पर धोखाधड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांगता कोटे के तहत लाभों का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप हैं, और उन्हें आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत आईएएस से बर्खास्त कर दिया गया.
UPSC ने रद्द कर दी थी उम्मीदवारी
आपको बता दें कि इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया था. नियम के अनुसार, केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह परिवीक्षाधीनों (probationers) को सेवा से मुक्त कर दे. अगर वे वे "दोबारा परीक्षा में पास नहीं हो पाते हैं या केंद्र सरकार को यह विश्वास हो जाता है कि परिवीक्षाधीन व्यक्ति सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य था या सेवा का सदस्य होने के लिए उपयुक्त नहीं है.
इस मामले में पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपने जवाब में कहा कि उन्होंने यूपीएससी को अपने नाम में हेरफेर या गलत जानकारी नहीं दी.
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क्या थे खेडकर पर आरोप
खेडकर की कानूनी मुश्किलें तब शुरू हुईं जब उन पर आरोप लगा कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए अपने आवेदन में आरक्षण का फायदा उठाने के लिए गलत जानकारी दी. यूपीएससी और दिल्ली पुलिस दोनों ने उन पर जाली विकलांगता प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप लगाया है, जिसमें 2022 और 2023 की परीक्षाओं के लिए दो अलग-अलग दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है. यूपीएससी ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी.
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