डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुडे़ कानून के प्रावधानों में संशोधन करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के साथ जानकारी शेयर करने की अनुमति दे दी है. माना जा रहा है कि इससे जीएसटी में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ ईडी भी जांच कर सकेगी. ऐसे आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया जाएगा. बीते कुछ महीनों में जीएसटी में गड़बड़ी के कई मामले भी सामने आए हैं जिनमें बड़ी रकम छिपाने का खुलासा हुआ है. सरकार के इस कदम से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए की गई जीएसटी की चोरी की वसूली में मदद मिलेगी.
भारत में जीएसटीएन इनडायरेक्ट टैक्स की टेक्नोलॉजी को संभालता है और रिटर्न, टैक्स दाखिल करने के ब्योरे और अन्य अनुपालन सहित जीएसटी से संबंधित सभी सूचनाओं का भंडारण करता है. धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों में संशोधन के अनुसार, जीएसटीएन को उन इकाइयों की सूची में शामिल किया गया है जिनके साथ ईडी सूचना साझा करेगा.
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टैक्स चोरी करने वालों की बढ़ेगी मुश्किल
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को अधिसूचित करने से एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार होगा जिससे बड़ी कर चोरी करने वाले लोगों पर शिकंजा कसकर उन्हें बकाया टैक्स का भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा सकेगा. मोहन ने कहा, 'GSTN संभावित टैक्स अपराधियों के बारे में प्रासंगिक जानकारी संबंधित अधिकारियों को दे सकता है ताकि जीएसटी कानून के तहत जांच, निर्णय और करों की वसूली की कार्यवाही शुरू की जा सके.'
नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को शामिल करने से अब ईडी के पास मौजूद उस जानकारी या सामग्री को जीएसटीएन के साथ साझा करने की सुविधा मिलेगी, जिनके बारे में उसे लगता है कि इसमें किसी भी तरीके से जीएसटी कानून का उल्लंघन किया गया है. झुनझुनवाला ने कहा कि अभी धारा 158 के तहत जीएसटी अधिनियम भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत किसी भी अभियोजन के मामले या उस समय लागू किसी भी अन्य कानून के तहत जानकारी का खुलासा करने का अधिकार देता है.
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पहले नहीं था कोई नियम
पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को जानकारी का खुलासा करने की कोई शक्ति नहीं थी, जब तक कि पीएमएलए की धारा 66 की उपधारा 1 के खंड 2 के तहत अधिसूचित नहीं किया गया हो. इस अधिसूचना के साथ जीएसटीएन को अब सूची में शामिल कर लिया गया है. इससे पहले पिछले साल नवंबर में सरकार ने ईडी को आर्थिक अपराधियों की जानकारी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के साथ साझा करने की अनुमति दी थी.
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