डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि रक्षा मंत्रालय वन रैंक वन पेंशन (OROP) के बकाए का भुगतान 4 किस्तों में करने संबंधी सर्कुलर जारी कर कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मंत्रालय से अपने 20 जनवरी के परिपत्र को तुरंत वापस लेने के लिए कहा, जिसमें कहा गया है कि OROP की बकाया राशि का भुगतान चार किस्तों में किया जाएगा. साथ ही पीठ ने भुगतान संबंधी योजना 20 मार्च तक पेश करने का निर्देश दिया.
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र ने ओआरओपी बकाया की एक किस्त का भुगतान पूर्व सैनिकों को कर दिया है और एक और किस्त का भुगतान 31 मार्च तक कर दिया जाएगा, लेकिन अन्य किस्तों के भुगतान के लिए उसे कुछ और समय की जरूरत है. पीठ ने वेंकटरमणी से कहा, ‘पहले OROP बकाया के भुगतान पर 20 जनवरी की अपनी अधिसूचना वापस लें, फिर हम समय दिए जाने के संबंध में आपके आवेदन पर विचार करेंगे.’
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4 किस्तों में भुगतान की नहीं कह सकता रक्षा मंत्रालय
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का 20 जनवरी का सर्कुलर पूरी तरह से उसके फैसले के विपरीत था और वह अपनी ओर से एकतरफा यह नहीं कह सकता कि वह चार किस्तों में ओआरओपी का बकाया भुगतान करेगा. पीठ ने अटॉर्नी जनरल को भुगतान की जाने वाली राशि, अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों और बकाया भुगतान के लिए प्राथमिकता आदि का विवरण देते हुए एक नोट तैयार करने को कहा. पीठ ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि किसी प्रकार का वर्गीकरण होना चाहिए और पहले वृद्ध लोगों को बकाए का भुगतान किया जाना चाहिए. मामला शुरू होने के बाद से अब तक चार लाख से अधिक पेंशनभोगियों की मृत्यु हो चुकी है.’
20 मार्च को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च करेगा. केंद्र से उस तारीख तक एक नोट दाखिल करने को कहा, जिसमें भुगतान का विशिष्ट विवरण दिया गया हो. पीठ वकील बालाजी श्रीनिवासन के जरिए दायर इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रही है. इस याचिका में रक्षा मंत्रालय के 20 जनवरी के संचार को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी को सशस्त्र बलों के पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी बकाया के भुगतान में देरी पर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी. (भाषा इनपुट के साथ)
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