हाल ही में चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर का चुनाव हुआ था. इस चुनाव में गठबंधन के बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार हार गया था. हार के बाद इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि ऐसे अधिकारी के खिलाफ तो मुकदमा चलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि क्या चुनाव के पीठासीन अधिकारी को ऐसा बर्ताव करना चाहिए? यह तो लोकतंत्र का मजाक उड़ाया गया है.
मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी बने अनिल मसीह की जमकर आलोचना की है. अदालत ने कहा, 'यह साफ है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने बैलट पेपर से छेड़छाड़ की है. क्या चुनाव कराने का उनका यही तरीका है? यह लोकतंत्र का मजाक है. लोकतंत्र की हत्या की गई है. हम हैरान हैं. इस आदमी के खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए. क्या ये रिटर्निंग ऑफिसर का बर्ताव है?'
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अगली सुनवाई से पहले नहीं होगी निगम की बैठक
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया, बैलट पेपर औऱ अन्य चीजों की रिकॉर्ड रखा जाए. साथ ही, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जरनल के जरिए सभी जरूरी चीजों की वीडियोग्राफी भी कराई जाए. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले नगर निगम की कोई बैठक भी नहीं बुलाई जाएगी.
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दरअसल, इस चुनाव में कुल 36 लोगों को वोट डालना था. इस तरह 19 वोट पाने वाले को ही जीत मिल सकती थी. इसी को ध्यान में रखते हुए 13 सीटों वाली AAP ने 7 सीटों वाली कांग्रेस से हाथ मिला लिया था. जब वोट पड़े तो 16 वोट हासिल करके बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिल गई. विपक्षी उम्मीदवार को सिर्फ 12 वोट मिले और 8 वोट खारिज कर दिए गए. चुनाव के बाद वोटों की गिनती से पहले अनिल मसीह को इन बैलट पेपर्स पर कुछ लिखते देखा गया था. इसी को लेकर कांग्रेस और AAP ने जमकर हंगामा किया था और मामला कोर्ट तक पहुंचा.
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